This website uses cookies to provide a better user experience.

By clicking accept, you agree to the policies outlined in the Cookie Settings.

accessibility
Accessibility Controls
Accessibility Controls

स्टूडियो थिएटरों सहित निर्माण अनुदान के लिए प्रदर्शन कला में सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता

Inner  Banner

स्टूडियो थिएटरों सहित निर्माण अनुदान के लिए प्रदर्शन कला में सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता

Sr.No.TitleLink
1SCHEME OF BUILDING GRANTS, INCLUDING STUDIO THEATRES - GuidelinesDocument   (546KB)
2SCHEME OF BUILDING GRANTS, INCLUDING STUDIO THEATRES - Application FormsDocument   (695KB)
3Important Instruction/Notice/Order for grantee organisations (Building Grants)View  
4MinutesView  
5ArchivesView  
6Link of WZCC for Building Grants, Including Studio TheatresView  

 

उद्देश्यय

इस स्कीम का उद्देश्यं, स्वैच्छिक सांस्कृपतिक संगठनों तथा सरकारी सहायता प्राप्तु सांस्कृतिक संगठनों को, कलाकारों के लिए समुचित रूप से सुसज्जित प्रशिक्षण, अभ्याकस व कला प्रस्तुति स्थठलों के सृजन में उनके प्रयासों में सहायता करना है।

 

पात्र परियोजनाएं

  • अनुदान, सांस्कृसतिक स्थल सृजित करने के लिए दिया जाएगा, जिनमें निम्न’लिखित शामिल होंगे
  • मंच कलाओं हेतु पारम्पंरिक सांस्कृथतिक स्थल :
    • प्रदर्शन स्थ.ल जैसे ऑडिटोरियम, ओपन-एयर थिएटर, कन्सथर्ट हॉल
    • रंगमंच/संगीत/नृत्यर हेतु अभ्यास हॉल
    • रंगमंच/संगीत/नृत्यर हेतु प्रशिक्षण केंद्र/स्कूल
  • रूपान्तनर स्थल अर्थात स्टूडियो थिएटर आदि: आन्तेरिक अभ्यास-सह-प्रदर्शन स्थ्ल जिन्हें स्टूएडियो थिएटर या प्रायोगिक थिएटर कहा गया है, जिनमें निम्नतलिखित मुख्य विशेषताएं होती हैं:-
    • लघु थिएटर जिसमें संगीत, नृत्ये या रंगमंच या इन तीनों कलाओं की समग्र प्रस्तु ति हेतु सभी अनिवार्य उपस्कंर हों
    • अनौपचारिक स्थनल जिसे पारंपरिक दृष्टि से ऑडिटोरियम नहीं कहा जा सकता, अत: सामान्‍यतया यह मंच या कला प्रस्तुडति क्षेत्र न तो मुख्य रंगपीठ के अन्द‍र होता है और न ही इसे बहुत ऊंचाई पर बनाया जाता है या यह दर्शकों से दूर किसी भाग का विभाजन करके बनाया जाता है।
    • दर्शकों के बैठने की व्यमवस्थाट इस प्रकार पूरी तरह से परिवर्तनीय होती है कि इसे कला प्रस्तु ति विशेष के कलात्महक उद्देश्यो के अनुसार स्थेल में एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है, अत: सीटों/कुर्सियों को एक जगह स्थिर नहीं किया जाएगा।
    • स्थाल की सामान्‍य क्षमता अधिकतम 100 से 200 सीट की होती है, ऐसे स्थ ल को प्राय: ‘‘छोटा थिएटर’’ या ‘‘आन्तकरिक थिएटर’’ कहा जा सकता है क्यों कि इसमें दर्शक, कला प्रस्तुाति का नजदीक से पूरा आनंद उठा सकते हैं।
    • कलाकारों के लिए प्रसाधन सुविधा सहित साथ लगे एक या दो नेपथ्य शाला, श्रृंगार कक्ष और भण्डाकर क्षेत्र; अत: समूची यूनिट छोटी होती है परन्तुए यह पूरी तरह थिएटर का काम करती है।
  • ऑडिटोरियम, स्टूंडियो थिएटर या अन्यी सांस्कृरतिक स्थहल (स्थिलों) में सृजित करने संबंधी परियोजना प्रस्तावों में निम्न लिखित घटकों का कोई भी समुचित मिश्रण शामिल हो सकता है:-
    • नया निर्माण या निर्मित स्थरल की खरीद
    • मौजूदा भवन/स्थसल/केंद्र का नवीकरण/उन्नभयन/आधुनिकीकरण/विस्तामर/फेरबदल
    • मौजूदा निर्मित स्थ्ल/सांस्कृ तिक केंद्र के अन्दउरूनी भागों की रिमॉडलिंग
    • विद्युत, वातानुकूलन, ध्वानि तंत्र, प्रकाश व ध्वानि प्रणाली तथा उपस्करों की अन्य मदें जैसे वाद्य यंत्र, परिधान, ऑडियो/वीडियो उपस्कशर, फर्नीचर तथा स्टू्डियो थिएटर के लिए अपेक्षित मंच सामग्री, ऑडिटोरियम, अभ्यास कक्ष, कक्षा कमरे आदि जैसी सुविधाओं की व्यचवस्था।

 

पात्र संगठन

  • इस स्कींम में निम्नवलिखित शामिल हैं:-
    • निम्नकलिखित मानदण्डस पूरा करने वाले गैर-लाभकारी सभी संगठन :- 
    • कम से कम तीन वर्ष की अवधि के लिए प्राथमिक रूप से नृत्यह, नाटक, रंगमंच संगीत, ललित कला, भारत विद्या-शास्त्रि तथा साहित्यक के क्षेत्र में कला व संस्कृंति के संवर्धन में कार्यरत संगठन का स्वभरूप मुख्यसत: सांस्कृकतिक कार्यकलाप का होना चाहिए।
    • संगठन कम से कम तीन वर्ष से सोसायटी पंजीकरण अधिनियम (1860 का 21वां) या सदृश अधिनियम के तहत सोसायटी या न्याकस या गैर-लाभकारी कम्पनी के रूप में पंजीकृत हो।
    • संगठन की अपनी प्रतिष्ठा हो तथा अपने कार्यकलाप के क्षेत्र में सार्थक कार्य करने की उसकी ख्यांति हो और उसने स्थाठनीय, क्षेत्रीय या राष्ट्री य स्त र पर अपनी पहचान बनाई हो।
    • इसके घोषणा पत्र में संगठन, भारतीय कला व संस्कृेति के परिरक्षण, प्रसार व संवर्धन के प्रति समर्पित हो।
    • मंच कलाओं के संवर्धन में कार्यरत सरकारी प्रायोजित निकाय।
    • मंच कलाओं के प्रति समर्पित विश्वाविद्यालय विभाग या केंद्र।
    • मंच कलाओं के संवर्धन हेतु स्था्पित कॉलेज।
  • मंत्रालय की ‘‘विनिर्दिष्टग मंच कला परियोजनाओं हेतु कार्यरत व्यासवसायिक समूहों और व्य्क्तियों को वित्तीदय सहायता’’ की स्कीाम के तहत कम से कम 3 वर्ष से वेतन अनुदान प्राप्त् करते आ रहे संगठन को यह माना जाएगा कि उसने उपर्युक्त् सभी शर्तें पूरी कर दी हैं।
  • मंच कलाओं को समर्पित सरकार द्वारा प्रायोजित निकाय, विश्वंविद्यालय विभाग/केंद्र या कॉलेज भी स्व त: पात्र हो सकता है बशर्तें कि गत तीन वर्षों का उसका रिकॉर्ड संतोषजनक हो।
  • धार्मिक संस्थागएं, सार्वजनिक पुस्तसकालय, संग्रहालय, स्कूसल, कॉलेज या विश्वरविद्यालय विभाग, जो मंच कलाओं तथा संबद्ध सांस्कृतिक कार्यकलापों के प्रति विनिर्दिष्टू रूप से समर्पित नहीं है, केंद्र सरकार/राज्य सरकार के विभाग या कार्यालय/स्था‍नीय निकाय पात्र नहीं होंगे।
  • वह संगठन जिसने पूर्व की ‘‘सांस्कृदतिक संगठनों का भवन अनुदान स्कीधम’’ या इस स्कींम के तहत अपनी भवन परियोजना के लिए अनुदान प्राप्तक किया हो, इस स्कीूम के तहत पूर्व में मंजूर परियोजना के पूरा होने से पहले दूसरे अनुदान के लिए पात्र नहीं होगा बशर्तें कि उक्तअ दूसरा अनुदान स्टूेडियो थिएटर (प्रायोगिक थिएटर) के लिए न मांगा गया हो और आवेदक संगठन ने चल रही स्वीलकृत परियोजना के संबंध में चूक न की हो।

 

सहायता की किस्म व सीमा

  • इस स्कीदम के तहत सभी अनुदान गैर-आवर्ती किस्मर के होंगे। आवर्ती व्यनय, यदि कोई हो, अनुदानग्राही संगठन की जिम्मे्दारी होगी।
  • इस स्कीदम के तहत अधिकतम सहायता इस प्रकार होगी :

    शहरपरियोजना की किस्म्सहायता की सीमा
    बेंगलुरू,चेन्नशई,दिल्ली,हैदराबाद,कोलकाता,मुम्बुई,महानगरीय शहरों को छोड़कर अन्यग सभी शहर, नगर या स्थाननए निर्माण या निर्मित स्थयल की खरीद संबंधी परियोजनाएं50 लाख रू.
     अन्यो सभी परियोजनाएं25 लाख रू.
    सभी गैर-मेट्रो शहर, कस्बे या स्थानसभी परियोजनाएँ25 लाख रू.

     

    किसी संगठन को योजना के तहत सहायता ऊपर दी गई सीमा के अधीन, अनुमोदित अनुमानित परियोजना लागत के अधिकतम 60% तक सीमित होगी। उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) में परियोजनाओं के मामले में (अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा राज्य शामिल हैं) केंद्रीय वित्तीय सहायता की अधिकतम राशि कुल अनुमोदित परियोजना लागत का 90% होगी। जैसा कि ऊपर बताया गया है अधिकतम वित्तीय सीमा तक। अनुमोदित अनुमानित परियोजना लागत का शेष हिस्सा संगठन द्वारा अपने 'मिलान शेयर' के रूप में वहन किया जाना है।

    चित्र:

    हानगरीय शहरों में नए निर्माण/निर्मित स्थधल की खरीद संबंधी परियोनाओं हेतु

    • मामला : 1 यदि परियोजना की अनुमोदित लागत 100 लाख रू. है तो संस्वीयकृति योग्य अनुदान की अधिकतम राशि 50 लाख रू. होगी और अनुदानग्राही संगठन की बराबर की हिस्सेयदारी 50 लाख रू. होगी।
    • मामला : 2 यदि परियोजना की अनुमोदित लागत रु. 70.00 लाख (मेट्रो शहरों में), स्वीकृत अधिकतम अनुदान रु. होगा। 42.00 लाख, अनुदान प्राप्तकर्ता संगठन का समतुल्य हिस्सा रु. 28.00 लाख. एनईआर परियोजनाओं के मामले में, स्वीकृत किया जाने वाला अधिकतम अनुदान रु. 25.00 लाख होगा, अनुदान प्राप्तकर्ता संगठन का समतुल्य हिस्सा रु. 45.00 लाख होगा।

    गैर-महानगरीय शहरों में नए निर्माण/निर्मित स्थ ल की खरीद संबंधी परियोजनाओं तथा 3.2 (ख, ग, तथा घ) के तहत सभी परियोजनाओं हेतु 

    • मामला : 3 यदि परियोजना की अनुमोदित लागत 60 लाख रू. है तो संस्वीगकृति योग्य् अनुदान की अधिकतम राशि 25 लाख रू. होगी और अनुदानग्राही संगठन की बराबर की हिस्सेयदारी 35 लाख रू. होगी।
    • मामला : 4 यदि परियोजना की अनुमोदित लागत रु. 40.00 लाख (गैर-मेट्रो शहरों में), स्वीकृत किया जाने वाला अधिकतम अनुदान रु. 24.00 लाख, अनुदान प्राप्तकर्ता संगठन का समतुल्य हिस्सा 16.00 लाख रुपये है। हालाँकि, एनईआर के मामले में, स्वीकृत किया जाने वाला अधिकतम अनुदान रु. 25.00 लाख होगा, अनुदान प्राप्तकर्ता संगठन का समतुल्य हिस्सा रु. 15.00 लाख होगा।
  • भूमि की लागत (प्राप्ताकर्ता संगठन द्वारा अदा की गई वास्तीविक धनराशि न कि बाजार मूल्य ) तथा संगठन द्वारा वहन किए गए विकास प्रभार को बराबर हिस्सेवदारी की राशि माना जाएगा।
  • संगठन द्वारा आवेदन की तारीख के एक वर्ष के भीतर निर्माण/भूमि व भवन के विकास तथा जुड़नारों व फिटिंग पर पहले से किए गए व्य य को भी बराबर हिस्सेूदारी की राशि माना जाएगा। संगठन इस संबंध में किए गए व्ययय का सनदी लेखाकार द्वारा विधिवत रूप से प्रमाणित लेखा-जोखा प्रस्तु त करेगा।
  • यदि बाद में परियोजना की लागत बढ़ जाती है तो भारत सरकार की देयता मूलत: स्वी.कृत राशि तक सीमित होगी और अतिरिक्तो सम्पूकर्ण व्य य, अनुदानग्राही संगठन द्वारा अपने संसाधनों से पूरा किया जाएगा।
  • परियोजना प्रस्ता व पर विचार किए जाने तथा कतिपय राशि के लिए उसे अनुमोदित किए जाने पर सामान्‍यतया परियोजना की समीक्षा और उसकी लागत बढ़ाने के लिए बाद में किसी भी अनुवर्ती अनुरोध को स्वीोकार नहीं किया जाएगा।
  • वित्तीरय सहायता की मंजूरी की वैधता, प्रथम किस्तो जारी होने की तारीख से 3 वर्ष की होगी और सभी परियोजनाएं 3 वर्ष के भीतर पूरी की जानी अनिवार्य हैं।

 

आवेदन की पद्धति

  • वित्तीय वर्ष 2023-24 से योजना के तहत आवेदन पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (डब्ल्यूजेडसीसी), उदयपुर द्वारा प्राप्त और संसाधित किए जाएंगे, जिन्हें योजना को लागू करने के लिए नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया गया है।
  • यह योजना पूरे वर्ष खुली रहती है। योजना के तहत अनुदान के लिए निर्धारित प्रोफार्मा में आवेदन "निदेशक, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, बागोर की हवेली, गणगौर घाट, उदयपुर राजस्थान - 313001" को प्रस्तुत किया जा सकता है। आवेदक संगठन को ज़ोन सांस्कृतिक केंद्र, सीधे डब्ल्यूजेडसीसी को प्रस्तुत किया जा सकता है]। विशेषज्ञ समिति की बैठक बुलाने से पहले आवेदन जमा करने की कट-ऑफ तारीख डब्ल्यूजेडसीसी /मंत्रालय की वेबसाइटों: https://wzccindia.com और https://indiaculture.gov.in के माध्यम से अधिसूचित की जाएगी।
  • आवेदन की अनुशंसा या तो किसी राष्ट्रीय अकादमियों या भारत सरकार के अधीन किसी अन्य संस्कृति-संबंधी संगठन या संबंधित राज्य सरकार/केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन, राज्य अकादमियों द्वारा की जानी चाहिए।
  • नीचे खंड 5 के तहत उल्लिखित सभी दस्तावेज आवेदन के साथ होने चाहिए। इनमें से किसी भी अनिवार्य दस्तावेज के बिना प्राप्त आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा और प्रेषक को वापस कर दिया जाएगा।

 

संलग्‍न किए जाने वाले दस्‍तावेज

आवेदन के साथ निम्‍नलिखित दस्‍तावेज लगाए जाने चाहिए

  • परियोजना रिपोर्ट/प्रस्‍ताव जिसमें निम्‍नलिखित शामिल होंगे–
    • संगठन की रूपरेखा जिसमें संगठन, इसकी क्षमताओं, उपलब्धियों तथा गत तीन वर्षों के इसके कार्यकलापों के वर्ष-वार ब्‍यौरे का विवरण हो। 
    • परियोजना/प्रस्‍ताव की तर्कसंगतता/औचित्‍य सहित इसका विवरण।
    • लागत प्राक्‍कलन (भवन/उपस्‍कर/सुविधाओं) का सार।
    • वित्‍त/निधियों के स्रोत।
    • परियोजना पूरी होने की समय अनुसूची और
    • समापन उपरान्‍त-संगठन किस प्रकार परियोजना के माध्‍यम से सृजित सुविधा के प्रचालन व अनुरक्षण का संचालन करेगा और आवर्ती अनुरक्षण/प्रचालन लागत को पूरा करेगा।
  • सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 या अन्‍य संगत अधिनियमों के तहत पंजीकरण प्रमाण पत्र की प्रतिलिपि।
  • संगठन के नियमों व विनियमों, यदि कोई हों, सहित इसके संगम ज्ञापन (या न्‍यास विलेख) की प्रतिलिपि।
  • प्रबंधन बोर्ड के वर्तमान सदस्‍यों/पदाधिकारियों/न्‍यासियों की सूची जिसमें प्रत्‍येक सदस्‍य का नाम व पता हो।
  • गत तीन वित्‍त वर्षों के वार्षिक लेखाओं (सनदी लेखाकार/सरकारी लेखा परीक्षक द्वारा विधिवत रूप से प्रमाणित/संपरीक्षित) की प्रतिलिपियां
  • स्‍वामित्‍व विलेख (पंजीकृत हस्‍तांतरण विलेख, उपहार विलेख, पट्टा विलेख आदि) जिसमें निम्‍नलिखित का उल्‍लेख हो
    • परियोजना की भूमि/भवन पर आवेदक संगठन का स्‍वामित्‍व और इस आशय की पुष्टि कि उक्‍त सम्‍पत्ति का इस्‍तेमाल वाणिज्यिक, संस्‍थागत या शैक्षिक प्रयोजन से किया जा सकता है। निर्मित स्‍थल की खरीद के प्रस्‍ताव के मामले में आबंटन पत्र/विक्रय करार की प्रतिलिपि प्रस्‍तुत की जाए।
    • भूमि/भवन की लागत यदि स्‍वामित्‍व विलेख में भूमि/भवन की लागत का उल्‍लेख नहीं किया गया है तो लागत के समर्थन में संगत दस्‍तावेज संलग्‍न किए जाएं।
  • समुचित नागरिक निकाय/स्‍थानीय प्राधिकारी (नगर-पालिका, पंचायत, विकास प्राधिकरण, सुधार न्‍यास आदि) द्वारा विधिवत रूप से अनुमोदित भवन/विकास योजनाओं की प्रतिलिपि। निर्मित स्‍थल की खरीद के प्रस्‍ताव के मामले में सक्षम नागरिक निकाय/स्‍थानीय प्राधिकारी द्वारा विधिवत रूप से अनुमोदित/जारी नक्‍शा योजना तथा निर्माण सम्‍पूर्ण प्रमाण-पत्र प्रस्‍तुत किया जाए।
  • पंजीकृत वास्‍तुविद द्वारा विधिवत रूप से अनुमोदित लागत प्राक्‍कलन (भवन/उपस्‍कर) जो यह प्रमाणित करेगा कि :
    • मात्राएं, परियोजना की ढांचागत अपेक्षाओं के अनुरूप हैं।
    • दरें, प्रचलित बाजार मूल्‍यों के अनुरूप हैं, और
    • लागत प्राक्‍कलन तर्क संगत हैं।
  • इस आशय के दावे के समर्थन में दस्‍तावेजी साक्ष्‍य कि संगठन ने अपनी बराबर की हिस्‍सेदारी प्राप्‍त कर ली है या इसे प्राप्‍त करने के प्रबंध कर लिए हैं अर्थात बैंक विवरण, परियोजना पर किए जा चुके खर्च का प्रमाण पत्र (ब्‍यौरे के साथ, जो सनदी लेखाकार द्वारा विधिवत रूप से प्रमाणित हो) ऋण मंजूरी पत्र, परियोजना के लिए निधियों की मंजूरी दर्शाने वाला राज्‍य सरकार/संघ राज्‍य प्रशासन/स्‍थानीय निकाय आदि का पत्र।
  • संगठन के प्रबंधन बोर्ड/कार्यकारी बोर्ड/शासी निकाय का संकल्‍प (निर्धारित प्रपत्र में) जिसमें संगठन की ओर से अनुदान हेतु आवेदन, बंध-पत्र आदि पर हस्‍ताक्षर करने के लिए किसी व्‍यक्ति को प्राधिकृत किए जाने का उल्‍लेख हो।
  • निर्धारित मूल्‍य राशि के (स्‍टाम्‍प पेपर) पर मांगी गई सहायता का बंध-पत्र (निर्धारित प्रपत्र में)
  • संगठन के बैंक खाते का ईसीएस ब्‍यौरा दर्शाने वाला बैंक प्राधिकरण पत्र (निर्धारित प्रपत्र में)

 

नोट

  • आवेदक संगठन, अपने प्रस्‍ताव के समर्थन में ऐसा कोई भी अन्‍य दस्‍तावेज संलग्‍न कर सकता है जो वह प्रस्‍तुत करना चा‍हे (अर्थात राष्‍ट्रीय या राज्‍य स्‍तरीय सरकारी निकाय या अकादमी से प्रमाण-पत्र या संस्‍तुति पत्र, वार्षिक रिपोर्ट, प्रेस कतरने/समीक्षाएं, कार्य आबंटन पत्र, संबद्धता पत्र आदि)
  • जहां कहीं दस्‍तावेज क्षेत्रीय भाषा में हैं, उनका अंग्रेजी व हिंदी रूपान्‍तरण भी उपलब्‍ध कराया जाना अनिवार्य है।
  • जहां कहीं कतिपय दस्‍तावेज की प्रतिलिपियां प्रस्‍तुत की जा रही हों, उन्‍हें किसी राजपत्रित अधिकारी या नोटरी पब्लिक द्वारा विधिवत रूप से सत्‍यापित कराया जाना चाहिए।
  • मंच कलाओं को समर्पित सरकार द्वारा प्रायोजित निकायों, विश्‍वविद्यालय विभागों या केंद्रों और कॉलेजों के मामले में बिंदु 7.2 से 7.10 पर विनिर्दिष्‍ट दस्‍तावेजों में से केवल ऐसे दस्‍तावेजों को उपलब्‍ध कराए जाने की आवश्‍यकता है जो आवेदक संगठन से संबंधित हों। -
  • List of present members of the Board of Management/ Office Bearers/Trustees with name & address of each member.
  • Copies of Annual Accounts for the last 3 financial years (duly certified / audited by a Chartered Accountant or Government Auditor).
  • Copy of the Title Deed (registered conveyance deed, gift deed, lease deed, etc.) in case of proposal seeking financial assistance for new construction/purchase of built-up space/renovation/extension of existing auditorium, showing :
    • Ownership of the land/building for the project in the name of the applicant organization and confirming that the property can be used for commercial, institutional or educational purpose. In the case of a proposal to purchase built up space, copy of Allotment letter/Agreement to Sale be submitted.
    • Cost of land/building. In case the cost of land/ building is not indicated in the title deed, relevant documents in support of cost be submitted.
  • Copy of Building / Development Plans duly approved by the appropriate civic body/ local authority (Municipality, Panchayat, Development Authority, Improvement Trust etc.). In case of proposal to purchase built up space, copy of the layout plan and completion certificate duly approved/issued by competent civic body/local authority to be submitted.
  • Cost estimates (Building/ Equipments), duly approved by a registered Architect who will also certify that:
    • The quantities are in conformity with the structural requirements of the project.
    • The rates are in conformity with the prevailing market rates, and
    • The cost estimates are reasonable.
  • Documentary evidence in support of the claim that the organization has secured or made arrangements to secure its matching share e.g. a bank statement, certificate of expenditure already incurred on the project (with break-up, duly certified by Chartered Accountant), loan sanction letter, letter of the State Government / Union Territory Administration/ Local Body etc. sanctioning funds for the project.
  • Resolution (in the prescribed format) of the Board of Management/ Executive Board/ Governing Body of the organization authorizing a person to sign the application for grant, bond etc. on behalf of the organization.

 

मूल्‍यांकन पद्धति

  • संस्‍कृति मंत्रालय में प्राप्‍त सभी आवेदनों की, संस्‍कृति मंत्रालय के पी.आर्ट्स प्रभाग द्वारा उपर्युक्‍त अपेक्षाओं के अनुसार पूर्णता की दृष्टि से जांच की जाएगी। अधूरे आवेदनों पर विशेषज्ञ समिति द्वारा मूल्‍यांकन हेतु आगे कार्रवाई नहीं की जाएगी।
  • मूल्‍यांकन समिति द्वारा मूल्‍याकंन से पहले, जहां कहीं समिति ऐसा चाहे, आवेदनों की, संस्‍कृति मंत्रालय के अधीन किसी संगठन या इस प्रयोजनार्थ नियुक्‍त किसी विशेषज्ञ समूह या किसी ऐजेंसी की सहायता से सत्‍यापन पूर्व जांच भी की जा सकती है। वैकल्पिक तौर पर इससे पहले प्रस्‍ताव के मामले विशेष में या स्‍थायी व्‍यवस्‍था के बतौर किसी समतुल्‍य समूह (पीयर ग्रुप) द्वारा मूल्‍यांकन कराया जा सकता है। ऐसे पूर्व सत्‍यापन या पूर्व मूल्‍यांकन का प्रयोजन, संगठन की प्रतिष्‍ठा व क्षमताओं तथा परियोजना की सुयोग्‍यता का आन्‍तरिक मूल्‍यांकन करना होगा।
  • सभी तरह से पूर्ण आवेदन पर विशेषज्ञ समिति द्वारा बैचों में विचार किया जाएगा, जिसे संस्‍कृति मंत्रालय द्वारा गठित किया जाएगा और समिति, अनुदान हेतु प्राप्‍त आवेदनों की संख्‍या के आधार पर वर्ष के दौरान समय-समय पर बैठक करेगी।
  • विशेषज्ञ समिति निम्‍नलिखित के विशेष सन्‍दर्भ में प्रत्‍येक परियोजना प्रस्‍ताव के गुणावगुण के संबंध में उसका मूल्यांकन करेगी :
    • क्‍या आवेदक संगठन संबंधित क्षेत्र में सुप्रतिष्ठित है और उसकी अपनी पहचान है।
    • क्‍या प्रस्‍ताव की संकल्‍पना उत्‍तम है 
    • क्‍या लागत प्राक्‍कलन तर्कसंगत है; और
    • क्‍या परियोजना पूरी करने के लिए संगठन की अपनी बराबर की हिस्‍सेदारी जुटाने की क्षमता है या इसने इसकी व्‍यवस्‍था की है (जहां आवेदक संगठन ने बराबर की हिस्‍सेदारी की सम्‍पूर्ण राशि पहले ही खर्च दी है उस मामले में इस अपेक्षा को पूरा किया मान लिया जाएगा)।
  • विशेषज्ञ समिति में मंच कलाओं व संस्‍कृति के विभिन्‍न क्षेत्रों के कलाकार शामिल होंगे और इसमें वास्‍तुविद, सिविल इंजीनियर तथा प्रकाश/ध्‍वनि/मंच शिल्‍प में तकनीकी विशेषज्ञ तथा साथ ही संस्‍कृति मंत्रालय के संबंधित अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं।
  • विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को विचार/अनुमोदन के लिए माननीय संस्कृति मंत्री के समक्ष रखा जाएगा।

 

अनुदान की संस्‍वीकृति व उसे जारी करना

  • परियोजना प्रस्‍ताव का अनुमोदन होने पर, मंत्रालय इस निर्णय की सूचना, संबंधित संगठन को देगा जिसमें परियोजना की कुल अनुमोदित लागत, मंजूर की गई सहायता की मात्रा, संगठन की बराबर की हिस्‍सेदारी की मात्रा तथा स‍हायता की संस्‍वीकृत राशि जारी करने संबंधी अन्‍य शर्तों का उल्‍लेख होगा।
  • संस्‍वीकृति पत्र में उस भवन/उपस्‍करों को भी विनिर्दिष्‍ट किया जाएगा जिनके लिए सहायता मांगी गई है।
  • वित्तीय सहायता निम्नलिखित तरीके से केंद्रीय सहायता की स्वीकृत राशि के 50% की दो समान किस्तों में जारी की जाएगी:
    • पहली किस्त: स्वीकृत सहायता के 50% के बराबर पहली किस्त मंत्रालय द्वारा परियोजना प्रस्ताव/मंजूरी के अनुमोदन पर बिना किसी अतिरिक्त पत्राचार के जारी की जाएगी।
    • दूसरी और अंतिम किस्त: स्वीकृत अनुदान के 50% के बराबर दूसरी और अंतिम किस्त निम्नलिखित जमा करने पर जारी की जाएगी:
      • एक पंजीकृत वास्तुकार (भवन अनुदान के मामले में) और चार्टर्ड अकाउंटेंट (उपकरण अनुदान के मामले में) से परियोजना पर भौतिक और वित्तीय प्रगति रिपोर्ट, साइट/उपकरणों की तस्वीरों के साथ पहले से किए गए/पूर्ण किए गए कार्य का विवरण देते हुए। 
      • पंजीकृत वास्‍तुविद से निम्‍नलिखित आशय का प्रमाण पत्र : • परियोजना कार्य, अनुमोदित योजना के अनुसार पूरा किया गया है/चल रहा है; • स्‍थानीय कानूनों या निर्माण/विकास की अनुमोदित योजना का उल्‍लंघन नहीं किया गया है; • किया गया कार्य संतोषजनक स्‍तर का है; और • किए गए कार्य की लागत का मूल्‍याकंन और परियोजना कार्य पूरा करने के लिए आगे और अपेक्षित राशि
      • सनदी लेखाकार द्वारा विधिवत रूप से हस्‍ताक्षरित परियोजना के लेखाओं का संपरीक्षित विवरण।
      • सनदी लेखाकार द्वारा उपयोग प्रमाण-पत्र, जिसमें प्रमाणित किया गया हो कि सहायता राशि की दूसरी किस्‍त पूरी तरह परियोजना पर खर्च की गई है।
      • सनदी लेखाकार का एक प्रमाण-पत्र, जिसमें प्रमाणित किया गया है कि संगठन ने अपनी बराबर की हिस्सेदारी का 40% खर्च कर दिया है।
      • दूसरी किस्त जारी करने से पहले, मंत्रालय अपने प्रतिनिधियों या विशेषज्ञों की एक टीम के माध्यम से परियोजना का भौतिक निरीक्षण करवाएगा।

 

अनुदान की शर्तें

  • भारत सरकार द्वारा जारी अनुदानों के लिए अलग खाता रखना होगा।
  • परियोजना के खाते और स्‍थल, संस्‍कृति मंत्रालय के प्रतिनिधि द्वारा किसी भी समय जांच के लिए तैयार होने चाहिएं।
  • यदि परियोजना, पहली किस्‍त के जारी होने की तारीख से तीन वर्ष की अवधि के भीतर पूरी नहीं की जाती है तो, संगठन को आगे कोई अनुदान जारी नहीं किया जाएगा तथा उक्‍त दावा काल-बाधित हो जाएगा।
  • संगठन के खाते, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक अथवा अपने विवेक से उनके द्वारा नामिती द्वारा किसी भी समय लेखा-परीक्षा के लिए तैयार होने चाहिएं।
  • अनुदान अथवा उसके बाद किसी किस्‍त के जारी होने के वित्‍तीय वर्ष की समाप्ति के छ: महीने के भीतर अनुदानग्राही, अगले वर्ष में भारत सरकार को अनुमोदित परियोजना पर किए गए व्‍यय को दर्शाने वाला सनदी लेखाकार द्वारा लेखा-संपरीक्षित तथा प्रमाणित विवरण तथा भारत सरकार के अनुदान की उपयोगिता को दर्शाने वाला उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत करेगा। यदि उक्‍त अवधि के भीतर उपयोग प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत नहीं किया जाता है तो अनुदानग्राही को भारत सरकार की मौजूदा ब्‍याज दर पर ब्‍याज सहित प्राप्‍त कुल अनुदान राशि को तुरंत वापिस करना होगा, बशर्ते कि भारत सरकार द्वारा विशेष रूप से छूट न दी गई हो।
  • मामला बंद करने के लिए, आवेदक को वित्‍तीय वर्ष, जिसमें अंतिम किस्‍त जारी की गई है, की समाप्ति के 6 महीने के भीतर निम्‍नलिखित दस्‍तावेज प्रस्‍तुत करने होंगे :
  • a)नए निर्माण से जुड़ी परियोजनाओं के मामलों में, उपयुक्त नागरिक प्राधिकरण द्वारा जारी पूर्णता प्रमाण पत्र की प्रति; और तैयार निर्मित स्थान की खरीद से संबंधित परियोजनाओं के मामले में, बिल्डर/विक्रेता को किए गए सभी भुगतानों की रसीदों की प्रतिलिपि, कब्ज़ा पत्र और पंजीकरण/स्वामित्व विलेख।
  • उपकरण अनुदान के मामले में आर्किटेक्ट/सीए से परियोजना पूर्णता रिपोर्ट।
  • सनदी लेखाकार से प्रमाण पत्र कि संगठन ने अपनी बराबर की हिस्‍सेदारी की पूर्ण राशि खर्च कर दी है।
  • भारत सरकार के अनुदान पूर्णरूपेण अथवा मुख्‍य रूप से अधिगृहीत स्‍थायी और अर्ध-स्‍थायी परिसंपत्तियों का एक रजिस्‍टर निर्धारित फार्म (फार्म-GFR-19) में तैयार किया जाना चाहिए। अनुदानग्राही को इस रजिस्‍टर की एक प्रति प्रतिवर्ष संस्‍कृति मंत्रालय को प्रस्‍तुत करनी चाहिए।
  • अनुदानग्राही दो जमानतदारों के साथ निर्धारित प्रपत्र में भारत के राष्‍ट्रपति के नाम इस आशय का बंध पत्र निष्‍पादित करेगा कि वह अनुदान की शर्तों का पालन करेगा। उसके द्वारा अनुदान की शर्तों का पालन न किए जाने या बंध-पत्र का उल्‍लंघन किए जाने की स्थिति में अनुदान प्राप्‍तकर्ता और जमानती अलग-अलग या मिलकर भारत के राष्‍ट्रपति को भारत सरकार की वर्तमान उधार दर पर ब्‍याज सहित अनुदान की समूची राशि लौटाएगा।
  • केंद्रीय सहायता से अधिगृहीत भवनों व अन्‍य परिसम्‍पत्तियों पर प्रथम पुनर्ग्रहणाधिकार भारत के राष्‍ट्रपति का होगा और भारत सरकार की पूर्व अनुमति के बिना भवन या उपस्‍कर को किसी अन्‍य पक्ष को पट्टे पर नहीं दिया जाएगा या उसे गिरवी नहीं रखा जाएगा। तथापि, इस प्रकार अधिगृ‍हीत स्‍टूडियो थिएटर या अन्य सुविधाओं को अस्‍थायी इस्‍तेमाल हेतु किसी अन्‍य पक्ष को पट्टे पर देने का प्रावधान इस शर्त से मुक्‍त होगा।
  • यदि किसी स्‍तर पर सरकार दिए गए अनुदान या उससे सृजित सुविधाओं के समुचित उपयोग से संतुष्‍ट नहीं है तो सरकार, भारत सरकार की वर्तमान ऋण दर पर ब्‍याज सहित अनुदान की समूची राशि लौटाने की मांग कर सकती है।
  • अनुदानग्राही संगठन, इस स्‍कीम के तहत विकसित स्‍टूडियों/थिएटर/सांस्‍कृतिक स्‍थल में समुचित रूप से मंत्रालय का नाम लिखकर भारत सरकार संस्‍कृति मंत्रालय की वित्‍तीय सहायता का आभार प्रकट करेगा।
  • केवल अनुदानग्राही, भवनों के निर्माण या भूमि और भवनों के उपयोग संबंधी स्‍थानीय क्षेत्र में यथा लागू कानूनों के उल्‍लंघन के लिए जिम्‍मेदार होगा।
  • ऐसी अन्‍य शर्तें जो भारत सरकार समय-समय पर लागू करे।.
  • संगठनों को अनिवार्य रूप से अपने आसपास के किसी भी स्कूल/शैक्षणिक संस्थान में कम से कम 02 गतिविधियाँ (समारोह, व्याख्यान, सेमिनार, कार्यशाला, प्रदर्शनी आदि) आयोजित करनी होंगी। दूसरी किस्त जारी करने के लिए संस्थान के प्रधानाचार्य/प्रमुख से इस आशय का प्रमाण पत्र अनिवार्य होगा।