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हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और विकास के लिए वित्तीय सहायता

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हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और विकास के लिए वित्तीय सहायता

Sr.No.TitleLink
1Important Information/Notices for grantee organisationsDocument   (3.28 MB)
2Important Information/Notices for grantee organisationsDocument   (253 KB)
3Registrration on NGO Darpan Portal-regDocument   (220 KB)
4AdvertisementDocument   (417 KB)
5ExtensionDocument   (275 KB)
6Corrigendum in r/o Himalayan SchemeDocument   (448 KB)
7Format for DocumentsDocument   (62 KB)
8FormsDocument   (43 KB)
9MinutesView  
10Sanction OrdersView  
11Mandatory Registration Public Financial Management SystemDocument   (281 KB)
12Letter to State GovernmentDocument   (718 KB)

 

संपर्क सूत्र

श्री यशवीर सिंह (अवर सचिव), पुरातत्‍व भवन, डी-ब्‍लॉक, द्वितीय तल, आईएनए, नई दिल्‍ली-110023, फोन नं. 24642159

 

स्‍कीम

हिमालय क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए वित्तीय सहायता स्कीम

 

उद्देश्‍य

इस स्कीम का उद्देश्‍य अनुसंधान, प्रलेखन, प्रसार आदि माध्यमों से जम्मू और कश्‍मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश में फैले हिमालयी क्षेत्र की विस्तृत सांस्कृतिक विरासत का संवर्धन, संरक्षण व परिरक्षण करना है।

 

अनुदान की प्रक्रिया

  • स्वैच्छिक संस्थान का पंजीकरण, सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 या पब्लिक न्यास के रूप में भारतीय न्यास अधिनियम, 1882 के तहत होना चाहिए और वह विगत तीन वर्षों से कार्यरत हो।
  • कॉलेज और विश्‍वविद्यालय भी आवेदन के पात्र हैं।
  • संस्थान में, अनुसंधान परियोजना को हाथ में लेने और उसको आगे बढ़ाने की क्षमता होनी चाहिए। इसमें अनुदान के लिए अपेक्षित स्कीम को लागू करने के लिए आवश्‍यक सुविधाएं, स्रोत और कार्मिक भी होने चाहिए।
  • कॉलेज और विश्‍वविद्यालयों को अपने पाठ्यक्रम की विवरणी में या अनुसंधान पाठयक्रम में, हिमालय की कला और संस्कृति के परिरक्षण से सम्बद्ध अध्ययन के विभिन्न पहलुओं को प्रारंभ करना चाहिए, यदि इन्हें पहले शामिल नहीं किया गया हो।
  • आवेदन करने वाले कॉलेज को विश्‍वविद्यालय से संबद्ध होना चाहिए।
  • अनुदान, तदर्थ और गैर-आवर्ती प्रकृति का होगा।
  • इस स्कीम से अनुदान केवल उन संस्थानों को दिए जाएंगे जो किसी अन्य स्रोत से, ऐसे ही उद्देश्‍य के लिए अनुदान प्राप्त नहीं कर रहे हैं।
  • ऐसे संस्थानों को वरीयता दी जाएगी जो अपने क्षेत्रों में अच्छा कार्य कर रहे हैं और अपने हिस्से की धन राशि जुटाने में समर्थ हैं।

 

सहायता का उद्देश्‍य और मात्रा

वित्तीय सहायता, अधोलिखित किसी भी मद के लिए, किसी एक संस्थान को अधिकतम, 10.00 लाख रू. तक दी जाती है:

क्र.सं.मदप्रतिवर्ष अधिकतम राशि
i.सांस्कृतिक विरासत का अध्ययन और अनुसंधान10.00 लाख रू.
ii.प्राचीन पांडुलिपियों, साहित्य, कला और षिल्प का अनुरक्षण और सांस्कृतिक कार्यकलापों/ गतिविधियों जैसे संगीत नृत्य आदि का प्रलेखन।10.00 लाख रू.
iii.कला और संस्कृति के कार्यक्रमों का श्रृव्य-दृष्य माध्यमों से प्रसार करना।10.00 लाख रू.
iv.पारम्परिक और लोक कलाओं में प्रषिक्षण10.00 लाख रू.

 

किसी संस्थान के लिए अधिकतम स्वीकार्य अनुदान राशि, किसी मद पर अधिकतम निर्धारित सीमा के अधीन खर्च की जाने वाली राशि की 75٪ होगी। शेष 25٪ या उससे अधिक व्यय, सरकार/संघ राज्य क्षेत्र वहन करेगा। ऐसा न होने पर अनुदान प्राप्त करने वाला संस्थान, अपने संसाधनों से धन जुटाएगा। तथापि, अरूणाचल प्रदेश और सिक्किम के मामलों में निधि का बंटवारा भारत सरकार और उस संस्थान के मध्य क्रमश: 90:10 के अनुपात में किया जाएगा।

 

आवदेन की प्रक्रिया

संस्थान/व्यक्ति, अपना विधिवत भरा हुआ आवेदन, अधोलिखित दस्तावेजों/ सूचना सहित संस्कृति मंत्रालय में प्रस्तुत करने के पूर्व, उस संस्थान की पात्रता के आकलन के लिए उस सम्बद्ध राज्य सरकार के माध्यम से भेजेगा, जहां पर परियोजना को लागू करने का प्रस्ताव है। तथापि, ऐसे संस्थान जो सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश तथा जम्मू और कश्‍मीर के लेह और कारगिल जिलों में स्थित हैं, उन्हें केवल उस जिले के कलेक्टर/उपायुक्त की सिफारिश से अपने आवेदन, सीधे संस्कृति मंत्रालय को भेजने की छूट दी गई है। कॉलेज और विश्‍वविद्यालय अपने आवेदन विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग के माध्यम से संस्कृति मंत्रालय को अग्रेषित करेंगे।

 

क्र.सं.दस्तावेज/सूचना
iपंजीकरण प्रमाण-पत्र की वैध प्रतिलिपि, जिसमें स्पष्ट रूप से पंजीकरण की वैधता दर्षित हो। पंजीकरण प्रमाण-पत्र की प्रतिलिपि विधिवत राजपत्रित अधिकारी द्वारा सत्यापित की जाए।
iiसंगम ज्ञापन की प्रतिलिपि।
iiiपिछले तीन वर्षों की लेखा परीक्षा लेखाओं की प्रतियां।
ivवार्षिक रिपोर्ट की पिछले तीन वर्षों की प्रतियां, जिनमें उपलब्धि से संबंधित दस्तावेजी प्रमाण पुष्टि हेतु संलग्न हों।
vप्रारंभ की जाने वाली योजना के कार्यकलापों का क्रमिक विवरण जिसमें लागत अनुमानों का ब्यौरा, सरकार से निधि प्राप्त करने की आवश्‍यकता, निधि के अन्य स्रोत, परियोजना की पूर्णता विषयक सारिणी आदि शामिल हो।
viअनुसंधान से संबंधित कार्मिकों के मामले में संक्षिप्त वर्णन।

 

संस्तुति

राज्य सरकार/जिला कलेक्टर/उपायुक्त/विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग, प्रस्ताव की संस्तुति के समय:

  • संस्थान की पंजीकरण स्थिति की जांच करेगा/करेगी।
  • यह सत्यापित करेगा कि संस्थान ऐसी परियोजना को चलाने में समर्थ है।
  • यह सत्यापित करेगा कि शीर्ष/क्षेत्र संबंधी परियोजना चलाई जाने वाली प्रस्तावित परियोजना पहले कभी आरंभ नहीं किया गया था और यह एक नई परियोजना है।
  • गतिविधि/ गतिविधियों और उससे सम्बद्ध राशि की संस्तुति करेगा/करेगी।

 

अनुदान जारी होने की षर्तें और तरीका

  • यह अनुदान विशेषज्ञ परामर्शी समिति द्वारा आवेदन पत्रों के मूल्यांकन तथा सिफारिश और उसके बाद संस्कृति मंत्रालय के सक्षम प्राधिकारियों द्वारा दिए गए प्रशासनिक अनुमोदन एवं वित्तीय सहमति के आधार पर प्रदान किया जाएगा।
  • अनुदान की राशि दो समान किस्तों में भुगतान की जाएगी, सामान्य रूप से, पहली किस्त- परियोजना के अनुमोदन के साथ ही जारी कर दी जाएगी। दूसरी किस्त, परियोजना के पूर्ण होने और विधिवत लेखा परीक्षा किए गए लेखाओं के विवरण, जिसमें यह प्रदर्शित किया गया हो कि अनुदान की समस्त राशि तथा अनुदान प्राप्तकर्ता/संबंधित राज्य/संघ शासित क्षेत्र की सरकार के अंशदान का सदुपयोग कर लिया गया है, और अन्य दस्तावेज प्राप्त होने पर जारी कर दी जाएगी। अनुदान की शेष राशि को जारी करने का निर्णय, परियोजना के लिए अधिकतम सीमा को ध्यान में रखते हुए, परियोजना पर किए गए वास्तविक व्यय के आधार पर किया जाएगा।
  • इस स्कीम के तहत जो संस्थान आर्थिक सहायता प्राप्त करते हैं, उनका निरीक्षण, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार या संबंधित राज्य सरकार के किसी अधिकारी द्वारा किया जा सकता है।
  • परियोजना के लेखाओं का रख-रखाव, उचित रूप से और अलग-अलग किया जाएगा और जब कभी आवश्‍यक हो, इन्हें, भारत सरकार को प्रस्तुत किया जाएगा और यह जांच, केंद्र सरकार या राज्य सरकार या भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक द्वारा उनके विवेक के अधीन होगी।
  • अनुदान प्राप्तकर्ता अधोलिखित का रख-रखाव करेगा:-
    • सरकार से प्राप्त सहायता अनुदान के सहायक खाते।
    • कैश बुक रजिस्टर - हाथ से लिखी बाउंड बुक्स जिनमें मशीन से संख्याकन किया गया हो।
    • सरकार और अन्य अभिकरणों से प्राप्त अनुदान के लिए सहायता अनुदान रजिस्टर।
    • प्रत्येक मद के व्यय जैसे सिविल कार्य का निर्माण आदि के लिए अलग-अलग लेखा बही।
  • संस्थान, उन परिसंपत्तियों का पूरा अभिलेख रखेगा जो पूर्ण रूप से या वास्तविक रूप से केंद्र सरकार के अनुदान से अर्जित किए गए हैं और उनका निस्तारण, लाभकारी कार्यों में प्रयुक्त करने या उन उद्देश्‍यों से भिन्न प्रयोग करना जिनके लिए अनुदान दिया दिया गया था, भारत सरकार की पूर्व अनुमति के बिना नहीं किया जाएगा।
  • यदि किसी समय, भारत सरकार के पास ऐसा विश्‍वास करने का पर्याप्त कारण है कि स्वीकृत धन का उपयोग अनुमोदित प्रस्तावों के लिए नहीं किया जा रहा है, तो, अनुदान का भुगतान रोका जा सकता है और पूर्व अनुदानों की वसूली की जा सकती है।
  • अनुमोदित परियोजना की कार्य प्रणाली में, संस्थान को, तर्कयुक्त मितव्ययिता का अनुसरण करना चाहिए।
  • अनुदान प्राप्तकर्ता संस्थान, संस्कृति मंत्रालय को, परियोजना की एक तिमाही प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा, जिसमें वास्तविक उपलब्धियों और प्रस्तावित प्रत्येक मद पर व्यय, दोनों के विवरणों को, अलग से दिखाया गया हो।
  • अनुदान प्राप्तकर्ता, परियोजना रिपोर्ट की तीन प्रतियां, विधिवत बाउंड/श्रव्य-दृष्य सीडी/फोटोग्राफ सहित, संस्कृति मंत्रालय को प्रस्तुत करेगा और एक प्रति, उस राज्य को भेजेगा, जहां पर परियोजना का प्रारंभ किया गया है।
  • उन संस्थानों के आवेदनों पर, जिनके विरूद्ध पूर्व अनुदान/उपयोग प्रमाण-पत्र विलंबित है, विचार नहीं किया जाएगा।

 

भुगतान का तरीका

सभी भुगतान इलेक्‍ट्रॉनिक अन्तरणों द्वारा किए जाएंगे।

 

स्कीम का परिणाम

अंतिम किस्त के लिए अनुरोध करते समय परियोजना के कार्यकलाप के संबंध में विधिवत बाउंड की गई, निष्पादन और उपलब्धि रिपोर्ट तीन प्रतियों में, संस्कृति मंत्रालय को प्रस्तुत की जाएगी। इसमें अन्य बातों के साथ-साथ, परियोजना रिपोर्ट का निष्पादन सारांश, लाभार्थियों की संख्या, परियोजना का स्थान आदि अधोलिखित प्रारूप में दिए जाने चाहिए:

हिमालय क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए वित्तीय सहायता स्कीम

कार्य निष्पादन-सह-उपलब्धि रिपोर्ट

परियोजना शीर्षक : ______________

 

i.संस्थान का नाम, पता, टेली./फैक्स 
ii.स्वीकृति सं. और तारीख 
iii.संपूर्ण स्वीकृत अनुदान/किया गया संपूर्ण व्ययमदअनुदान स्वीकृतव्यय हुआ
iv.परियोजना का स्थान 
v.लाभार्थियों की संख्या 
vi.निष्पादन तथा उपलब्धियां 
vii.यह किस प्रकार से, हिमालय क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत का संवर्धन, संरक्षण और अनुरक्षण करने में सहायक होगा। 
viii.अन्य कोई बिन्दु 

हस्ताक्षर_____________

संगठन के अध्यक्ष/ सचिव

 

अपूर्ण आवेदन

ऐसे आवेदन जो उचित रूप में नहीं भरे गए हैं और जिनके साथ में आवश्‍यक दस्तावेज नहीं लगाए गए है तथा वे आवेदन जो निर्धारित प्राधिकारी की संस्तुति के बिना ही प्राप्त हुए हैं, उन पर विचार नहीं होगा और वे सरसरी तौर पर निरस्त कर दिए जाएंगे।

 

विशेष प्रावधान

स्कीम से सम्बद्ध विशेषज्ञ समिति को राज्य सरकार / स्थानीय प्रषासन से बिना सिफारिश अथवा सिफारिश सहित प्राप्त किसी भी प्रस्ताव को संस्तुत अथवा रद्द करने तथा ऐसा कोई प्रस्ताव जो अत्यधिक महत्व का हो जिसके लिए ईएसी महसूस करे कि संस्कृति मंत्री के अनुमोदन तथा एएस एवं एफए, संसकृति मंत्रालय की सहमति से उक्त परियोजना को आरंभ करने हेतु उच्चतम सीमा पर्याप्त नहीं हैं, तो इस स्कीम की अधिकतम सीमा से अधिक किन्तु 30 लाख रुपए की राशि से कम की राशि की सिफारिश करने की षक्ति प्राप्त है।

 

निरीक्षण और निगरानी

कम से कम 5 प्रतिशत मामलों में निरीक्षण, संस्कृति मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा किया जाएगा। संबंधित राज्य सरकार, जिला कलेक्टर/उपायुक्त भी निगरानी करेंगे।

 

अनुदान के दुरूपयोग के मामलों में आर्थिक दंड

संस्थान के कार्यकारी निकाय के सदस्य किसी भी दुरूपयोग के मामले में वसूली के लिए उत्तरदायी होंगे। संस्थान को निधि के दुरूपयोग, फर्जी प्रमाण-पत्र आदि के लिए काली सूची में दर्ज़ कर दिया जाएगा। सरकारी अनुदान की सहायता से सृजित सभी अचल परिसम्पत्तियां संस्कृति मंत्रालय द्वारा संस्तुत स्थानीय प्रषासन द्वारा हाथ में ले ली जाएंगी।