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टैगोर सांस्कृतिक परिसरों (टीसीसी) के लिए वित्तीय सहायता

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टैगोर सांस्कृतिक परिसरों (टीसीसी) के लिए वित्तीय सहायता

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पृष्ठभूमि

  • आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992-97) में राज्य सरकारों/ राज्य प्रायोजित निकायों को बहुउद्देशीय सांस्कृतिक परिसरों (एम पी सी सी) की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता अनुदान स्कीम शुरू की गयी थी जिसका उद्देश्य सृजनात्मक कार्यो के सर्वोत्तम स्वरूप को दर्शाने और समाज में कलात्मक और नैतिक रूप से जो अच्छा है, उसके लिए उन्हें संवेनदशील बनाते हुए अपने युवाओं के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। संगीत नृत्य, नाटक, साहित्य, ललित कला आदि जैसे विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्रों में समन्वय और प्रोत्साहन देने के लिए स्कीम के तहत राज्यों में सांस्कृतिक परिसरों की स्थापना की गयी थी। स्कीम में जैसा प्रावधान किया गया था, राज्य अथवा उस स्थान में मौजूद सुविधाओं, सम्बंधित सांस्कृतिक विभागों की वित्तीय स्थिति, अनुदान के समान निधि उपलब्ध कराने की प्रतिबद्घता और बहुउद्देश्यीय सांस्कृतिक परिसरों के आवर्ती व्यय को ध्यान में रखते हुए एक सलाहकार समिति द्वारा राज्य सरकारों के अनुरोध पर विचार किया गया। इस स्कीम के तहत अधिकतम 1.00 करोड़ रूपये का अनुदान उपलब्ध कराया गया बशर्ते राज्य सरकार द्वारा समान अनुदान के रूप में उपलब्ध कराई जाने वाली परियोजना लागत का 50 प्रतिशत हो।
  • विगत निष्पादनों को ध्यान में रखते हुए स्कीम की समीक्षा की गयी थी और स्कीम में रखे गये मानदण्डों को वर्ष 2004 में संशोधित किया गया था। संशोधित स्कीम बहुउद्देशीय सांस्कृतिक परिसरों की दो श्रेणियों (i और ii) के लिए उपलब्ध कराई गयी। श्रेणी i के लिए परियोजना की लागत 5.00 करोड़ रूपये तथा श्रेणी ii के लिए 2.00 करोड़ रुपए थी।
  • 10वीं योजना के अंत में योजना आयोग द्वारा स्कीम को बंद करने से पूर्व विभिन्न राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों में कुल 49 बहुउद्देशीय सांस्कृतिक परिसरों को सहायता दी गयी थी। परिणाम स्वरूप, 11वीं योजना के मध्य अवधि मूल्यांकन के दौरान योजना आयोग स्कीम को समुचित सुधारों के साथ पुन: संचालित करने पर सहमत हुआ।
  • गुरूदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर की 150वीं जयन्ती समारोह मनाने के लिए गठित प्रधानमंत्री के अधीन राष्ट्रीय समिति और वित्त मंत्री के तहत स्थापित राष्ट्रीय कार्यान्वयन समिति ने सम्बंधित विकास के मामले में अनुभव किया है कि 1961 में गुरू रबीन्द्रनाथ टैगोर के शताब्दी समारोह के अवसर पर शुरू किये गये राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के एक भाग के रूप में केन्द्रीय सहायता से पूरे देश में सृजित बड़ी संख्या में रबीन्द्र 'भवनों,' 'सदनों,' 'रंगशालाओं,' 'मंचों,' और अन्य सांस्कृतिक केन्द्रों के नवीकरण, उन्नयन और विस्तार किए जाने की आवश्यकता है। ये केन्द्र 30 वर्षों से अधिक समय से संचालन में रहे हैं और समाज की अच्छी तरह सेवा की है।
  • टैगोर की 150वीं जयंती समारोह के भाग के रूप में यह निर्णय लिया गया कि वर्तमान रबीन्द्र भवनों का पुनर्निर्माण/नवीनीकरण/उन्नयन/आधुनिकीकरण/विस्तार किया जाय और संशोधित एम पी सी सी स्कीम की रूपरेखा के अनुसार जिन राज्य की राजधानियों और अन्य शहरों में ऐसे परिसर नहीं हैं वहां भी नये सांस्कृतिक परिसरों का निर्माण किया जाय। इसलिए पहले की एम पी सी सी स्कीम को दिनांक 07.05.2011 से टैगोर सांस्कृतिक परिसर (टीसीसी) के नाम से नवीकृत और पुनरांरभ करने का निर्णय लिया गया ताकि अलग-अलग पैमाने पर नये सांस्कृतिक परिसरों की स्थापना करने और सुगम बनाने के अलावा वर्तमान रबीन्द्र सभागारों के उन्नयन, आधुनिकरण और सुधार से इन्हें आधुनिकतम सांस्कृतिक परिसरों के रूप में बदला जा सके।
  • इसकी शुरूआत से, राष्ट्रीय मूल्यांकन समिति की दो बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं जिनमें क्रमश: 29 और 38 प्रस्तावों पर विचार किया गया।
  • संस्‍कृति मंत्रालय यह भी महसूस करता है कि देश में कला संबंधी अवसंरचना में गंभीर अभाव की स्थिति है। इस अभाव को इस स्कीम के माध्यम से निधियां उपलब्ध करवाकर कम किया जाना चाहिए क्योंकि यह स्कीम विशिष्ट रूप से मंच कलाओं और सामान्य रूप से कला एवं संस्कृति के प्रचार और संवर्धन से सीधे जुड़ी हुई है। इस प्रयोजन से, भारत सरकार उक्त टैगोर सांस्कृतिक परिसर (टीसीसी) स्कीम को जारी रखने पर विचार कर रही है जो साधारणतया कला के संवर्धन हेतु लगभग सभी प्रयोजनों के लिए एक बडे़ पैमाने पर मंच प्रदान करवाने से संबंधित है। इस स्कीम का उद्देश्य विद्यमान स्थानों के स्तरोन्नयन के साथ-साथ हर प्रकार के नए स्थानों का सृजन करना है। इससे पूरे देश में कलाओं के संवर्धन को प्रोत्साहन मिलेगा। चूंकि इसमें से बहुत सा कार्य लोक क्षेत्र से बाहर किया जा रहा है, अत: गैर-लाभार्थी संगठनों और ऐसे ही निकायों को स्कीम के तहत पात्र आवेदकों में शामिल किया गया है। यह भी महसूस किया गया है कि पूर्व एमपीसीसी स्कीम के अधीन देश में कई परियोजनाओं को भी विद्यमान एमपीसीसी, रबीन्द्र 'भवनों' 'सदनों' 'रंगशालाओं' के स्तरोन्नयन के साथ-साथ विद्यमान भौतिक सुविधाओं के पुनरूद्घार, नवीकरण, विस्तार, परिवर्तन, स्तरोन्नयन, आधुनिकीकरण आदि के लिए अवसंरचना हेतु कुछ निधियों की आवश्यकता है।
  • इन आवश्यकताओं को वृहत, वैविध्यपूर्ण टीसीसी स्कीम में तदनुसार शामिल कर लिया गया था। अनुदान प्राप्तकर्ता राज्य सरकारों / संघ प्रदेश प्रशासनों / गैर लाभार्थी संगठनों के लिए आवश्यक स्टेक (40 प्रतिशत) का भी प्रावधान किया गया है ताकि उनकी संपूर्ण सहभागिता और समर्पण तथा परियोजना का बौद्घिक स्वामित्व सुनिश्चित किया जा सके।

 

उद्देश्य

  • योजना के पुनरीक्षित संस्करण को 'टैगोर सांस्कृतिक परिसर' योजना के रूप में जाना जाता था। 12वीं पंचवर्षीय योजना से आगे जारी रखने के लिए योजना की समीक्षा करने पर, इस योजना को योजना के घटकों में से एक बनाया गया है और इसे "सांस्कृतिक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता की योजना" के तहत 'टैगोर सांस्कृतिक परिसरों (टीसीसी) के लिए वित्तीय सहायता' के रूप में जाना जाता है। . 'टैगोर सांस्कृतिक परिसरों (टीसीसी) के लिए वित्तीय सहायता' का योजना घटक राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में संगीत, नाटक, नृत्य, साहित्य, ललित कला आदि जैसे विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्रों में गतिविधियों को बढ़ावा देना और समन्वय करना और उनके माध्यम से बढ़ावा देना जारी रखेगा। देश की सांस्कृतिक एकता और युवा पीढ़ी को रचनात्मक अभिव्यक्ति और सीखने के अवसर प्रदान करना।
  • ये सांस्कृतिक परिसर मंच अभिनय ( नृत्य, नाटक और संगीत ), प्रदर्शनियों सेमिनारों, साहित्यिक कार्यकलापों, फिल्म प्रदर्शन आदि के लिए सुविधाओं तथा आधारभूत संरचना के साथ कला और संस्कृति के सभी स्वरूपों के लिए उत्कृष्ट केन्द्रों के रूप में कार्य करेंगे। इसलिए ये मूल टैगोर सभागार स्कीम से परे कार्य करने के लिए अभिप्रेत हैं और सृजनात्मकता तथा सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों में बहुआयामी रूचियों को प्रोत्साहन देंगे।

 

पात्र संगठन

स्कीम के तहत निम्नलिखित को वित्तीय सहायता प्रदान की जायेगी :

  • राज्य सरकार/ संघ राज्य प्रशासन;
  • राज्य सरकार/संघ राज्य प्रशासनों द्वारा स्थापित अथवा प्रायोजित निकाय;
  • केन्द्र सरकार अथवा इसके अधीन संगठनों द्वारा स्थापित अथवा प्रायोजित निकाय
  • विश्वविद्यालय, नगर निगम और अन्य सरकारी मान्यता प्राप्त एजेंसियां ; और
  • परियोजना की स्थापना और संचालन करने में सक्षम ऐसे गैर लाभकारी प्रतिष्ठित संगठन जो उपलब्ध कराई गयी परियोजना की लागत का 40 प्रतिशत अपने समभाग के रूप में जुटा सकें और आवर्ती लागत को पूरा कर सकें। ये संगठन केन्द्र सरकार अथवा सम्बंधित राज्य सरकार/संघ शासित सरकार की उपयुक्त एजेंसी द्वारा निरीक्षित तथा अनुशंसित रहे हों और निम्नलिखित मानदण्डों को पूरा करते हों :
  • ऐसा संगठन जो सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम (1860 का xxi) अथवा समान अधिनियमों के तहत या न्यास अथवा गैर-लाभार्थी कम्पनी के रूप में कम से कम तीन वर्षों की अवधि के लिए एक सोसाइटी के रूप में पंजीकृत है।
  • जिसका घोषणापत्र मूलरूप से भारतीय कला और संस्कृति के परिरक्षण, प्रसार और संवर्धन के लिए समर्पित है।
  • संगठन की प्रमुख रूप से सांस्कृतिक रूपरेखा हो तथा कम से कम तीन वर्षों से नृत्य, नाटक, रंगमंच, संगीत, ललित कला, भारतविद्या और साहित्य जैसे क्षेत्रें में कला और संस्कृति के सम्वर्धन के लिए मूल रूप से कार्य कर रहा हो।संगठन पूर्णतया स्थापित हो और अपने कार्यकलापों के क्षेत्र में अर्थपूर्ण कार्य करने के लिए जाना जाता हो तथा स्थानीय, क्षेत्रीय अथवा राष्ट्रीय स्तर पर पहचान और प्रतिष्ठा/स्थायित्व रखता हो।

 

पात्र परियोजनाएं

निम्नलिखित प्रकृति की परियोजनओं को वित्तीय सहायता दी जायेगी :

  • नये टैगोर सांस्कृतिक परिसर टीसीसी जिला/नगर परिसरों जिनमें लघु प्रेक्षागृह अथवा ओपन एयर एम्फीथियेटर अथवा इंप्रोवाइज्ड मंच के अलावा प्रत्येक परियोजना में सभागार शामिल है। टीसीसी एक बहुउद्देशीय सांस्कृतिक परिसर होगा किंतु किसी विशेष परियोजना में सुविधाएं उपलब्ध कराना स्थानीय आवश्यकताओं तथा सांस्कृतिक लोकाचार पर निर्भर करेगा। आदर्शत: इस स्कीम के उद्रदेश्यों के लिए टी सी सी का लक्ष्य निम्नलिखित आधुनिक सुविधाएं और आधारभूत संरचना प्राप्त करना है :
    • लाइव संगीत, नृत्य अथवा रंगमच या इन कलाओं के सम्मिश्रण के प्रदर्शन के लिए एक सभागार (अथवा विभिन्न क्षमताओं के सभागारों का एक समूह) जिसमें स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार बैठने की उपयुक्त क्षमता हो, का प्रयोग व्याख्यानों, फिल्म प्रदर्शनों आदि के लिए केन्द्र के रूप में भी किया जा सकता है।
    • सेमिनारों, सम्मेलनों कार्यशालाओं आदि के लिए विभिन्न क्षमताओं वाले कक्ष।
    • अभिनेताओं/अभिनेत्रियों के लिए नेपथ्यशाला(ओं) श्रृंगार कक्ष/कक्षों/ रूप सज्जा कक्ष/ कक्षों और एक भण्डारण क्षेत्र।
    • रंगमंच/संगीत/नृत्य के लिए पूर्वाभ्यास हाल।
    • रंगमंच/संगीत/नृत्य के लिए प्रशिक्षण केन्द्र/विद्यालय।
    • आगन्तुक कलाकारों के लिए शयनागार।
    • कला और छायाचित्रण के लिए प्रदर्शनी क्षेत्र।
    • पुस्तकालय/अध्ययन कक्ष।
    • कार्यालय, कैफेटेरिया/भोजन-प्रबंध, शौचालय, स्वागत कक्ष/प्रतीक्षालय, पार्किंग आदि के लिए सामान्य सुविधाएं।
  • मौजूदा सभागारों/सांस्कृतिक परिसरों का उन्नयन । मौजूदा
    • रवीन्द्र 'भवनों' 'सदनों' 'रंगशालाओं',
    • बहुउद्देश्यीय सांस्कृतिक परिसरों तथा
    • अन्य प्रेक्षागृह/ सांस्कृतिक परिसरों के उन्नयन की परियोजना स्कीम में शामिल होगी और निम्नलिखित संघटकों के कोई अन्य अथवा उपयुक्त संयोजन शामिल हो सकते हैं:
      • मौजूदा वास्तविक सुविधाओं का पुनरूद्घार, नवीकरण, विस्तार, परिवर्तन, उन्नयन और आधुनिकीकरण;
      • अन्तरस्थलीय पुनर्निर्माण/पुनर्प्रारूपण ; और/अथवा
      • विद्युतीय, वातानुकूलन, ध्वनिक, प्रकाश एवं ध्वनि प्रणाली और अन्य मदों के उपकरण जैसे दृश्य/ श्रव्य उपकरण, फर्नीचर (उपस्कार) तथा मंच सामग्री जैसी सुविधाओं का प्रावधान/उन्नयन।
  • स्वीकृत/जारी एमपीसीसी परियोजनाओं का समापन। पहले की एम पी सी सी स्कीम के तहत स्वीकृत परियोजनाएं पुन: नहीं खोली जायेंगी न ही इस स्कीम के प्रावधानों के तहत स्वीकृत राशि को बढ़ाया जायेगा। तथापि, विशेषज्ञ समिति द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं के मामले में, स्कीम स्थगित होने से पूर्व अथवा जारी परियोजनाएं जिनमें भुगतान के लिए कोई किस्तें शेष हैं, उनको उपर्युक्त एमपीसीसी स्कीम के प्रावधानों और सीमा के अनुसार इस स्कीम के तहत केन्द्रीय सहायता का भुगतान जारी रहेगा।

 

वित्तीय सहायता की प्रकृति और मात्रा

  • किसी भी परियोजना के लिए स्कीम के तहत वित्तीय सहायता सामान्य रूप से अधिकतम 15 करोड़ रूपये तक होगी। विशेष योग्यता और प्रासंगिकता के बहुत दुर्लभ मामले में, वित्तीय सहायता 50 करोड़ रू0 तक बढ़ाई जा सकती है किन्तु तब 15 करोड़ रू0 से अधिक वित्तीय सहायता का ऐसा प्रत्येक व्यक्तिगत मामला नई योजना स्कीमों के लिए निर्धारित सामान्य मूल्यांकन/अनुमोदन तंत्र के अधीन होगा।
  • इस योजना घटक के तहत दी जाने वाली केंद्रीय वित्तीय सहायता की अधिकतम राशि कुल अनुमोदित परियोजना लागत का 60% होगी, जो कि उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) में परियोजनाओं को छोड़कर ऊपर पैरा 5.1 में उल्लिखित अधिकतम वित्तीय सीमा के अधीन होगी। कुल अनुमोदित परियोजना लागत की शेष 40% राशि प्राप्तकर्ता राज्य सरकार/केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन/एनजीओ या संबंधित संगठन द्वारा वहन की जाएगी। भूमि की लागत मिलान हिस्सेदारी में शामिल नहीं की जाएगी। पहुंच मार्ग के साथ विकसित भूमि संबंधित राज्य सरकार द्वारा नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाएगी, जब तक कि संगठन के पास उसके स्वामित्व की भूमि न हो।
  • उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) में परियोजनाओं के मामले में (अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा राज्य शामिल हैं) केंद्रीय वित्तीय सहायता की अधिकतम राशि कुल अनुमोदित परियोजना लागत का 90% होगी। उपरोक्त पैरा 5.1 में उल्लिखित अधिकतम वित्तीय सीमा तक। कुल अनुमोदित परियोजना लागत की शेष 10% राशि प्राप्तकर्ता राज्य सरकार/एनजीओ या संबंधित संगठन द्वारा वहन की जाएगी। भूमि की लागत मिलान हिस्सेदारी में शामिल नहीं की जाएगी। पहुंच मार्ग के साथ विकसित भूमि संबंधित राज्य सरकार द्वारा नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाएगी, जब तक कि संगठन के पास उसके स्वामित्व की भूमि न हो।
  • सभी आवर्ती व्यय राज्य सरकार अथवा संबंधित संगठन द्वारा वहन किये जायेंगे।
  • परियोजना लागत का 0.5% विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) की तैयारी के लिए जारी किया जा सकता है।

 

आवेदन की प्रक्रिया

  • संस्कृति मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय नाट्रय विद्यालय (एनएसडी) अपनी और मंत्रालय की वेबसाइटों nsd.gov.in/www.indiaculture.nic.in के माध्यम से वार्षिक रूप से 'स्कीम' अभिसूचित करेगा और सभी राज्य सरकारों एवं संघ शासित प्रदेशों को सीधे सूचना प्रेषित करेगा।
  • 'स्कीम' के पैरा 8 में उल्लिखित आवश्यक दस्तावेज सहित निर्धारित प्रपत्र में आवेदन 'निदेशक, राष्ट्रीय नाट्रय विद्यालय, बहावलपुर हाउस, प्लॉट नं.1, भगवानदास रोड, नई दिल्ली-110001 को प्रस्तुत करें (राष्ट्रीय नाट्रय विद्यालय द्वारा आवेदक संगठन को आवेदन फार्म में कोई कमी पाए जाने पर, तत्संबंधी सूचना सीधे एनएसडी को ही उपलब्ध करवाई जाए),
  • नीचे पैरा 8 में उल्लिखित सभी दस्तावेज़ और अन्य प्रासंगिक दस्तावेज़ आवेदन के साथ संलग्न होने चाहिए। इनमें से किसी भी अनिवार्य दस्तावेज के बिना प्राप्त आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा और उन्हें सरसरी तौर पर खारिज कर दिया जाएगा और मूल रूप में आवेदक संगठन को वापस कर दिया जाएगा।

 

आवेदन के साथ संलग्न किये जाने वाले दस्तावेज

आवेदन के साथ निम्नलिखित दस्तावेज लगे होने चाहिएं :

  • प्रस्तावित परियोजना की व्यवहार्यता रिपोर्ट के साथ परियोजना प्रस्ताव जिसमें निम्नलिखित शामिल है
    • भवन/विकास योजनाएं (वर्तमान/प्रस्तावित) ;
    • लागत अनुमानों का सार (भवन, उपकरण, सुविधाएं आदि) ;
    • समभाग हेतु वित्त/ निधि के स्रोत ;
    • परियोजना की पूर्णता के लिए समय सीमा ;
    • परियोजना के माध्यम से सृजित सुविधा के संचालन और रख-रखाव का प्रबंधन संगठन कैसे करेगा यह प्रदर्शित करने के लिए पूर्णता पश्चात योजना ; और अपने प्रस्ताव के एक समन्वित भाग के रूप में कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण और अतिरिक्त पाठ्रयक्रम संगठन द्वारा शामिल किया जाना चाहिए।
  • सहायक दस्तावेज
    • सरकारी विभागों/निकायों/एजेंसियों द्वारा आवेदन के लिए :
      • विद्यमान प्रेक्षागृह अथवा बहुउद्देशीय सांस्कृतिक केन्द्र के उन्नयन के लिए यदि प्रस्ताव है तो पहले से उपलब्ध सुविधाओं तथा आधारभूत संरचना के ब्यौरे और नई परियोजना के मामले में भूमि आवंटन के सहायक साक्ष्य और अभिन्यास योजना ; तथा
      • समभाग उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्घता पत्र।
      • आवेदन करते समय, राज्य सरकार/विभागों/निकायों को "परियोजना निष्पादन एजेंसी" का उल्लेख करना होगा (यह एजेंसी राज्य सरकार/केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन के तहत एक विभाग/कार्यालय/संगठन/निकाय हो सकती है। जिसके पास पंजीकरण के लिए सभी आवश्यक विवरण हों) पीएफएमएस) जो पूरे प्रोजेक्ट का काम करेगा।
      • एक बैंक प्राधिकरण पत्र (निर्धारित प्रारूप में) जिसमें "कार्यकारी एजेंसी" के बैंक खाते का ईसीएस विवरण दिखाया गया है जिसमें अनुदान राशि भेजी जाएगी।
    • प्रतिष्ठित गैर-लाभकारी संगठनों द्वारा आवेदन के लिए
      • सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 अथवा अन्य सम्बद्घ अधिनियमों के तहत पंजीकरण के प्रमाण-पत्र की प्रति।
      • नियम-विनियम, यदि कोई हो, सहित संगठन के संघ (या न्यास विलेख) के ज्ञापन की प्रति।
      • प्रत्येक सदस्य के नाम और पते के साथ प्रबंधन बोर्ड के वर्तमान सदस्यों/ पदधारियों/न्यासियों की सूची।
      • पिछले तीन वित्तीय वर्षो के (सनदी लेखाकार/सरकारी लेखा परीक्षक द्वारा प्रमाणित/संपरीक्षित) वार्षिक लेखाओं की प्रति ;
      • संगठन की रूपरेखा जिसमें कार्यालय का विवरण, इसकी सामर्थ्य, उपलब्धियों और पिछले तीन वर्षों से अधिक का इसके कार्य-कलापों का वर्ष-बार ब्यौरा;
      • आयकर अधिनियम की धारा XII ए, 80जी के तहत पैन कार्ड और पंजीकरण, यदि कोई हो ;
      • आवेदक संगठन के नाम भूमि/भवन का स्वामित्व दर्शाने वाला स्वामित्व विलेख (रजिस्ट्रीकृत अभिहस्तांतरण विलेख, उपहार विलेख, पट्रटा विलेख आदि) की प्रति जिसमें यह पुष्टि की गयी हो कि सम्पत्ति का उपयोग वाणिज्यिक/सांस्थानिक उद्देश्य के लिए किया जा सकता है।
      • इस दावे के समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्य कि संगठन ने अपना समभाग जुटा लिया/प्रबंध कर लिया है अर्थात बैंक विवरण, परियोजना पर पहले हुए व्यय का प्रमाण पत्र (सनदी लेखाकार द्वारा प्रमाणित वर्ष-वार विवरण सहित), ऋण स्वीकृति पत्र, अथवा परियोजना के लिए स्वीकृत की जाने वाली निधि सम्बंधी राज्य सरकार/संघ शासित सरकार, स्थानीय निकाय आदि का पत्र् ;
      • संगठन की ओर से अनुदान के लिए आवेदन, बंध-पत्र आदि पर हस्ताक्षर करने के लिए किसी व्यक्ति को प्राधिकृत करने वाले संगठन के प्रबंधन बोर्ड/ कार्यकारी बोर्ड/प्रशासकीय निकाय का संकल्प पत्र (निर्धारित प्रारूप में) ;
      • मांगी गयी सहायता की राशि के लिए बंध पत्र (निर्धारित नामकरण के स्टाम्प पेपर पर निर्धारित प्रारूप में) ; और
      • एनजीओ दर्पण पोर्टल से प्राप्त सक्रिय यूनिक आईडी नंबर की प्रति; और
      • संगठन के बैंक खाते का ईसीएस ब्यौरा दर्शाने वाला बैंक का प्राधिकरण पत्र (निर्धारित प्रारूप में)।

 

मूल्यांकन प्रक्रिया

  • संस्कृति मंत्रालय द्वारा प्राप्त सभी आवेदनों की दस्तावेजी आवश्यकतानुसार पूर्णता के लिए मंत्रालय द्वारा छानबीन की जायेगी। अपूर्ण आवेदन की जब तक कमियां (जैसे-उपर्युक्त अनुच्छेद 8 के तहत बताये गये अपेक्षित दस्तावेज के बिना) दूर नहीं की जाती, आगे कार्रवाई नहीं की जायेगी।
  • दस्तावेजी जांच के बाद, सभी तरह से पूर्ण पाए गए सभी आवेदन/परियोजना प्रस्ताव विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के मूल्यांकन और उसकी सिफारिशों के लिए उप-समिति के समक्ष रखे जाएंगे। उप-समिति की सिफारिशों के आधार पर, प्रस्ताव को अंतिम सिफारिशों के लिए राष्ट्रीय मूल्यांकन समिति (एनएसी) के समक्ष रखा जाएगा।
  • सभी तरह से पूर्ण आवेदनों/परियोजना प्रस्तावों का संस्कृति मंत्रालय (निम्न 9.5 अनुच्छेद के तहत) द्वारा नियुक्त राष्ट्रीय मूल्यांकन समिति द्वारा निम्नलिखित के लिए जॉंच की जायेगी :
    • योग्यता निर्धारण ;
    • प्रस्ताव की योग्यता का मूल्यांकन ; और
    • परियोजना के लिए केन्द्रीय सहायता की राशि की सिफारिश करना।
  • राष्ट्रीय मूल्यांकन समिति समय-समय पर बैठक करेगी और निम्नलिखित विशिष्ट संदर्भो सहित अपनी कसौटी पर परियोजना प्रस्ताव का मूल्यांकन करेगी :
    • क्या आवेदक संगठन क्षेत्र में पूर्णतया स्थापित है और इसकी अपनी एक निजी पहचान है ;
    • क्या प्रस्ताव पूर्णतया सुविचारित है ;
    • क्या लागत अनुमान समुचित है ; और
    • क्या संगठन के पास परियोजना को पूरा करने और पूर्णता के पश्चात, आवर्ती संचालन लागत को वहन करने के लिए अपने सम भाग की क्षमता है या प्रबंध कर चुका है। स्कीम के तहत नई परियोजना की स्वीकृति देते समय राष्ट्रीय मूल्यांकन समिति भी विद्यमान परिसरों के सदुपयोग और उत्पादन का मूल्यांकन, नये परिसर के लिए वास्तविक जरूरतें तथा राज्य की जनसंख्या और आकार पर विचार करेगी।
  • संस्कृति मंत्रालय संयुक्त सचिव (संस्कृति) की अध्यक्षता में राष्ट्रीय मूल्यांकन समिति (एनएपी) गठित करेगा। और इनमें संस्कृति मंत्रालय के अधिकारी, शहरी विकास (के.लो.नि. वि./हडको/रा.भ.नि. नि.स्कूल ऑफ प्लानिंग एण्ड आर्किटेक्चर) के प्रतिनिधि, कला और संस्कृति के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधि कलाकार तथा बिजली/ध्वनि/मंच शिल्प के कम से कम एक तकनीकी विशेषज्ञ, जैसा उचित हो, को शामिल किया जायेगा।
  • केन्द्रीय सहायता प्राप्त करने वाले परियोजना प्रस्तावों की जांच एनएसी द्वारा की जाएगी तथा आंतरिक वित्त से परामर्श करके निधियां जारी की जाएंगी। परियोजना प्रस्तावों की जांच में, एनआईसी का सहयोग उसकी उप-समिति द्वारा किया जाएगा।केन्द्रीय सहायता पाने वाले परियोजना प्रस्तावों की जॉंच राष्ट्रीय मूल्यांकन समिति द्वारा प्रथमतया सैद्घांतिक अनुमोदन और डीपीआर जमा करने पर तथा उसके आखिरी अनुमोदन हेतु डीपीआर प्रस्तुत करते समय किया जाएगा। समिति द्वारा अनुशंसित राशि आन्तरिक वित्त के परामर्श से मंत्रालय द्वारा जारी कर दी जायेगी।
  • 15 करोड़ रूपये से अधिक की केन्द्रीय सहायता पाने वाली परियोजना का संस्कृति मंत्रालय की पूर्व अनुमति से, इसके सैद्घांतिक अनुमोदन के लिए राष्ट्रीय मूल्यांकन समिति द्वारा जॉंच की जायेगी। डीपीआर जमा कराने पर इसका मूल्यांकन व्यावहारिक एस एफ सी/ ई एफ सी तंत्र के जरिये किया जायेगा और सक्षम प्राधिकारी अर्थात संस्कृति मंत्री के अनुमोदन पर आंतरिक वित्त के परामर्श से निधि जारी कर दी जायेगी। [ऐसी परियोजना के लिए विशेष अतिरिक्त निधि मंत्रालय को उपलब्ध कराने की आवश्यकता होगी]।
  • राष्ट्रीय मूल्यांकन समिति द्वारा परियोजना प्रस्ताव को सैद्घांतिक रूप से अनुमोदन के पश्चात योजना आयोग के प्रारूप/दिशानिर्देशों के अनुसार जहां भी तैयार करना अपेक्षित होगा, राष्ट्रीय नाट्रय विद्यालय आवेदक संगठन को निर्णय की सूचना देगा। इस उद्देश्य के लिए अस्थाई तौर से अनुमोदित परियोजना लागत का 0.5 % तक राशि संगठन के अनुरोध पर जारी की जा सकती है। डीपीआर जमा करने के अलावा आवेदक संगठन से प्रस्तुतीकरण भी मांगा जा सकता है।
  • तदनुसार सैद्घांतिक अनुमोदन अथवा अंतिम अनुमोदन से पूर्व राष्ट्रीय मूल्यांकन समिति संस्कृति मंत्रालय या उसके संगठनो के अधिकारियों सहित विशेषज्ञों की उप-समिति तदर्थ समिति और अधिकारियों द्वारा अथवा इस उद्देश्य के लिए नियुक्त एक बाह्य स्रोत एजेंसी द्वारा मूल्यांकन/कार्यस्थल निरीक्षण/सत्यापन आदि कराने के लिए स्वतंत्र होगी।

 

वित्तीय सहायता की स्वीकृति

डीपीआर के अनुमोदन पर मंत्रालय, परियोजना की अनुमोदित कुल लागत, स्वीकृत सहायता की मात्र, संगठन के समभाग की मात्र और सहायता की स्वीकृति राशि को जारी करने के लिए अन्य नियम व शर्तें दर्शाते हुए संगठन को निर्णय की सूचना देगा।

 

वित्तीय सहायता जारी करना

वित्तीय सहायता, सहायता की स्वीकृत राशि के 50% की दो बराबर किस्तों में जारी की जायेगी।

  • 1stस्वीकृत राशिकी पहली किस्त डीपीआर तैयार करने के लिए जारी राशि, यदि कोई हो, को समायोजित करने के पश्चात संस्कृति मंत्रालय द्वारा डीपीआर के अनुमोदन के बाद जारी की जायेगी। किस्त जारी करने से पूर्व यह सुनिश्चित किया जायेगा कि भवन योजना संबंधित नागरिक प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित कर दी गयी है।
  • 2nd स्वीकृत राशि की दूसरी किस्त निम्नलिखित दस्तावेजों को जमा कराने के पश्चात जारी की जायेगी:
    • स्थान के फोटोग्राफ के साथ पहले किये गये/पूर्ण किये गये कार्य का ब्यौरा देते हुए परियोजना की वास्तविक और वित्तीय प्रगति रिपोर्ट।
    • सनदी लेखाकार से जारी उपयोग प्रमाण-पत्र जिसमें यह प्रमाणित किया गया हो कि सहायता की पहली किस्त परियोजना के लिए पूर्णतया इस्तेमाल की गयी है।
    • आवेदक संगठन के इस वचनबंध के साथ कि यह परियोजना प्रथम किस्त जारी होने की तारीख से 3 वर्ष की अवधि के भीतर पूरी हो जाएगी।
    • सनदी लेखाकार द्वारा हस्ताक्षरित परियोजना के लेखे का संपरीक्षा विवरण जिसमें यह दर्शाया गया हो कि पहली किस्त और आनुपातिक सम भाग भी परियोजना के लिए इस्तेमाल किया गया है।
    • राज्य लो.नि.वि./ के.लो.नि.वि. अथवा पंजीकृत वास्तुकार द्वारा जारी प्रमाण-पत्र जिसमें दर्शाया गया हो कि :
      • परियोजना अनुमोदित योजना के अनुसार प्रगति पर है;
      • स्थानीय कानूनों और निर्माण/विकास की अनुमोदित योजना का उल्लंघन नहीं किया गया है;
      • किया गया कार्य सन्तोषजनक गुणवत्ता का है; और
      • किये गये कार्य की लागत का मूल्यांकन और परियोजना को पूरा करने के लिए अपेक्षित अगली राशि।
      • यदि निधि की अंतिम अपेक्षित राशि मिलने के पश्चात अनुमोदित परियोजना लागत से कम पड़ती है अथवा संगठन द्वारा खर्च किया गया सम भाग अनुमोदित परियोजना लागत के 40% से कम है तो अनुदान की दूसरी किस्त की राशि तद्रनुसार कम कर दी जायेगी।
      • दूसरी किस्त जारी करने से पूर्व मंत्रालय अपने प्रतिनिधि(ओं) अथवा विशेषज्ञ दल से परियोजना का निरीक्षण करायेगा।

 

समापन

मामले की समाप्ति के लिए अनुदान प्राप्तकर्ता संगठन को अंतिम किस्त जारी होने के 12 माह के भीतर निम्नलिखित दस्तावेज जमा कराने होंगे:

  • राज्य लो.नि.वि./के.लो.नि.वि. अथवा पंजीकृत वास्तुकार द्वारा जारी परियोजना पूर्णता रिपोर्ट।
  • सनदी लेखाकार/सरकारी लेखा-परीक्षक द्वारा प्रमाणित अन्तिम लेखा विवरण।
  • दूसरी किस्त की राशि का सनदी लेखाकार द्वारा जारी उपयोग प्रमाण-पत्र।
  • संगठन ने अपने समभाग की सदृश राशि खर्च कर दी है इस आशय का सनदी लेखाकार द्वारा जारी प्रमाण-पत्र।
  • उपयुक्त नागरिक प्राधिकरण द्वारा जारी पूर्णता प्रमाण-पत्र अथवा संगठन द्वारा जारी परियोजना की पूर्णता की नागरिक प्राधिकरण को सूचना देने वाले पत्र की प्रति (नये निर्माण के मामले में)।

 

अनुदान की शर्तें

  • सांस्कृतिक परिसरों का संचालन और रख-रखाव सम्बंधित राज्य सरकार विभाग, निकाय, एजेंसी, स्वायत्तशासी संगठन अथवा गैर-लाभकारी संगठन द्वारा किया जायेगा। परियोजना के लिए उपलब्ध कराई गयी भूमि पंजीकृत सोसाइटी अथवा राज्य सरकार के संबंधित विभाग के नाम हस्तांरित होगी। केन्द्र सरकार सोसाइटी/संगठन के विभिन्न निकायों (सामान्य परिषद, वित्तीय समिति, कार्यकारी बोर्ड आदि) से परिसर संचालन के लिए अपने प्रतिनिधि नामांकित कर सकती है।
  • केन्द्र सरकार द्वारा जारी अनुदान के सम्बंध में सोसाइटी/ संगठन द्वारा पृथक खाते रखने होंगे।
  • संस्थान के खातों को भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक अथवा उसके विवेक पर उसके नामित व्यक्ति द्वारा किसी भी समय लेखा-परीक्षा हेतु खुला रखना होगा।
  • राज्य सरकार अथवा संगठन को अनुमोदित परियोजना पर आये व्यय का समायोजन करते हुए और केन्द्र तथा राज्य सरकार द्वारा जारी अनुदानों के उपयोग दर्शाते हुए सनदी लेखाकार/सरकारी लेखा-परीक्षक द्वारा अपने संपरीक्षित लेखा विवरण भारत सरकार को सौंपने होंगे।
  • परियोजना की कार्य पद्घति को संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निश्चित किये गये किसी ढंग से जैसे और जब भी आवश्यक समझा जायेगा, समीक्षा हेतु खुला रखना होगा।
  • आवेदक /राज्य सरकार /संघ राज्य क्षेत्र /संगठन अपने कार्यों में समुचित मितव्ययिता बरतेगी।आवेदक संगठन, इस परियोजना को प्रथम किस्त जारी होने के तीन वर्ष की अवधि के भीतर पूरा करने के लिए बाध्य होगा।
  • केन्द्रीय सहायता से अधिगृहीत भवन और सम्पदा पर पहला ग्रहणाधिकार भारत के राष्ट्रपति का होगा और भारत सरकार की पूर्व अनुमति के बिना न भवन, न ही उपकरण दूसरी पार्टियों को पट्टे अथवा बंधक पर दिया जायेगा। तथापि, अन्य पार्टियों को अस्थायी इस्तेमाल के लिए प्रेक्षागृह के पट्टे और अन्य परियोजना सुविधाओं पर यह नियम लागू नहीं होगा।
  • आवेदक संगठन पहली किस्त जारी होने की तारीख से तीन साल की अवधि के भीतर परियोजना को पूरा करने के लिए बाध्य होगा, अन्यथा परियोजना कालातीत हो जाएगी और आगे कोई अनुदान जारी नहीं किया जाएगा और संबंधित परियोजना प्राधिकरण/संस्था/संगठन/राज्य सरकार . भारत सरकार की प्रचलित उधार दर पर दंडात्मक ब्याज दर के साथ मंत्रालय द्वारा जारी की गई पूरी राशि वापस करने के लिए उत्तरदायी होगा।
  • अनुदान प्राप्तकर्ता संगठन द्वारा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि परिसरों का पूरे वर्ष इष्टतम उपयोग किया जाए।
  • आवेदक संगठन को आवेदन के साथ विवरण देना होगा कि कॉम्प्लेक्स का संचालन और रखरखाव कैसे प्रबंधित किया जाएगा यानी जिस समय कॉम्प्लेक्स चालू होगा, उस समय कॉम्प्लेक्स के आवर्ती खर्चों जैसे बिजली पर व्यय / को पूरा करने के लिए परियोजना कैसे आत्मनिर्भर हो जाएगी। पानी/घर के रख-रखाव के बिल, कोई भी टूट-फूट और अन्य सामान। टूट-फूट, मरम्मत आदि और यदि ऐसे खर्चों को पूरा करने के लिए उस बुनियादी ढांचे के माध्यम से आय उत्पन्न करने वाले कारकों का कोई अन्य स्रोत है तो इसका स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए।
  • केंद्र सरकार की वित्तीय देनदारी अनुमोदित परियोजना लागत के अपने हिस्से की सीमा तक ढांचागत सुविधाएं प्रदान करने तक ही सीमित होगी, न कि कॉम्प्लेक्स के संचालन तक, या लागत वृद्धि आदि के कारण अतिरिक्त व्यय को पूरा करने तक।
  • अनुदान प्राप्तकर्ता को भारत के राष्ट्रपति के पक्ष में निर्धारित प्रपत्र में एक बांड निष्पादित करना होगा, जिसमें यह प्रावधान होगा कि वह अनुदान की शर्तों का पालन करेगा। बांड का उल्लंघन करके अनुदान की शर्तों का पालन करने में असफल होने की स्थिति में, भारत सरकार भारत सरकार की प्रचलित उधार दर पर ब्याज के साथ अनुदान की वसूली करने और ब्याज की दंडात्मक दर वसूलने का निर्णय ले सकती है। भारत सरकार द्वारा निर्धारित देरी के मामले में।
  • योजना घटक के तहत सभी लाभार्थी संगठनों को अनुदान की मंजूरी के छह महीने के भीतर और उसके बाद परियोजना के पूरा होने तक हर तीन महीने यानी त्रैमासिक आधार पर अपनी प्रगति रिपोर्ट भेजनी होती है।
  • अनुदान प्राप्तकर्ता संगठन परिसर में एक प्रमुख स्थान पर मंत्रालय का नाम उचित रूप से प्रदर्शित करके भारत सरकार, संस्कृति मंत्रालय के वित्तीय समर्थन को स्वीकार करेगा।
  • अनुदान प्राप्तकर्ता संगठन परिसर/सुविधा में अग्नि सुरक्षा को उचित महत्व देंगे और जहां भी आवश्यकता/आवश्यकता होगी, परिसर के अंदर/परिसर में आवश्यक सुरक्षा उपकरण स्थापित किए जाएंगे।
  • सहायता अनुदान/केंद्रीय वित्तीय सहायता केवल उन्हीं परियोजनाओं को प्रदान की जाएगी जो "रवींद्रनाथ टैगोर" यानी "नए टैगोर सांस्कृतिक परिसर का निर्माण" के नाम से मान्यता प्राप्त हैं। किसी भी अन्य परियोजना/किसी अन्य नाम पर 'टीसीसी के लिए वित्तीय सहायता' के योजना घटक के तहत विचार नहीं किया जाएगा और मूल्यांकन किए बिना सरसरी तौर पर खारिज कर दिया जाएगा और मूल रूप में आवेदक संगठन को वापस कर दिया जाएगा।
  • अनुदान प्राप्तकर्ता संगठन स्वच्छता बनाए रखेंगे/सुनिश्चित करेंगे। अपने कार्यालयों/अंदर/परिसर के पूरे परिसर के साथ-साथ उस स्थान पर स्वच्छता, जहां सेमिनार, अनुसंधान, कार्यशालाएं, सभागार, ओपन एयर-थिएटर, त्यौहार और प्रदर्शनी आदि आयोजित किए जाएंगे और स्वच्छ भारत के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देंगे और प्रचारित करेंगे। लोग।
  • अनुदान प्राप्तकर्ता संगठन परिसर में नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा बचत उपकरणों/उपकरणों जैसे एलईडी लाइट्स, पावर सेवर मशीनरी आदि का उपयोग करेंगे।
  • जारी किए गए अनुदान का उपयोग प्रशासनिक भवन, आवासीय क्वार्टर, निदेशक के बंगले या किसी बाहरी विकास, जैसे संपर्क सड़क आदि के लिए नहीं किया जाएगा।
  • ऐसी अन्य शर्तें जो भारत सरकार द्वारा समय-समय पर लगाई जा सकती हैं।
  • मंत्रालय/केंद्र सरकार के बीच सभी विवाद। और अनुदान प्राप्तकर्ता संगठन/निकाय आदि केवल दिल्ली की अदालतों के क्षेत्राधिकार के अधीन होंगे