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केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान

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Keoladeo National Park

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान

राजस्‍थान

यह स्थाल पूर्वी राजस्थान में अवस्थित है, पार्क भरतपुर के दक्षिण-पूर्व 2 कि. मी. और आगरा के पश्चिम 50 कि. मी. की दूरी पर है। इस क्षेत्र में गंगा की मैदान में दलदली समतल भूमि का टुकड़ा, जिसे वर्ष 1850 में कृत्रिम रूप से सृजित किया था, शामिल है और उस समय से ही नहरों, जल मार्गों एवं तटबंधों द्वारा इसका रख-रखाव किया जाता है। सामान्य रूप से, जल गंभीर और बाणगंगा नदियों के सैलाव से एक वर्ष में दो बार इन दलदली क्षेत्रों में प्रवेश करता है, जो उद्यान के दक्षिण की ओर अजान बांध नामक कृत्रिम बांध के जरिए कृषि योग्य भूमि पर घिरी हुई है। पहली बार अक्सर मॉनसून के आने के शीघ्र बाद मध्य जुलाई में और दूसरी बार देर से सितम्बर अथवा अक्तूबर में जब अजान बांघ से सर्दी में कृषि के लिए जल का निकास किया जाता है। इस प्रकार यह क्षेत्र पूरे वर्षा-ऋतु के दौरान 1-2 मीटर की गहराई तक जलमग्न रहता है, इसके बाद जल का स्तर कम होते जाता है। फरवरी से आगे भूमि सुखने लगती है और जून तक केवल कुछ जल शेष रह जाता है। वर्ष के अधिकांश समय के लिए क्षेत्र की केवल 1,000 हेक्टेयर भूमि नम रहती है। चूंकि मिट्टी मुख्य रूप से जलोढ़ है इसलिए आवधिक सैलाब के परिणामस्‍वरूप कुछ भूमि ने चिकनी मिट्टी का रूप ले लिया है।

अर्द्ध-शुष्क जैव क्षेत्र में, यह पार्क एक मात्र ऐसा क्षेत्र है, जहां अधिकांश वनस्पतियां मौजूद हैं इस प्रकार,'घना' शब्‍द का तात्पर्य ''घना जंगल''है। मुख्य वनस्पति किस्मों में, उन क्षेत्रों में जहां वन कम हो गए है; वहां शुल्क घास के मैदान-सहित मिश्रित ऊष्‍ण कटिबंधीय शुष्क पतझड़ वन शामिल हैं। क़ृत्रिम रूप से प्रबंधित दलदली क्षेत्र के अलावा, क्षेत्र का अधिकांश भाग मध्य‍म आकार के वृक्षों एवं झाड़ि‍यों द्वारा आच्छादित है। पार्क के उत्तर-पूर्व में मुख्य‍ रूप से मौजूद जंगलों में कलम या कदम, जामुन और बबूल के वृक्षों की प्रमुखता है। इस खुले वन प्रदेश में बबूल की अधिकता है जबकि कंडी और बेर की संख्या कम है। छोटी झाडि़यों में बेर और कैर मुख्य रूप से शामिल हैं। जलीय वनस्पतियों में प्रजातियों की समृद्धता है और जलपक्षियों के लिए आहार संबंधी एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है।