गुरु-शिष्य परंपरा के संवर्धन हेतु वित्तीय सहायता (रेपर्टरी अनुदान)
Sr.No. | Title | Link |
---|---|---|
1 | Notice Inviting application under Guru-Shishya Parampara (Repertory Grant) for the year 2023-2024 | Document (106 KB) |
2 | Financial Assistance for Promotion of Guru-Shishya Parampara (Repertory grant) - Application Form For Repertory Grant | Document (590 KB) |
3 | Important Information/Notices for grantee organisations | View |
4 | Status of Repertory Grant Cases | View |
5 | Organization due for physical verification | View |
6 | Sanction Orders | View |
7 | Minutes | View |
8 | Repertory Grant Archives | View |
Contact Us
Enquiry time is from 3.00 p.m. to 4.00 p.m. from Tuesday to Friday.
For queries, Section Officer (P-Arts) may be contacted on phone no. 011- 24642137
प्रस्तावना
इस स्कीम का शीर्षक ''गुरु-शिष्य परंपरा के संवर्धन हेतु वित्तीय सहायता (रेपर्टरी अनुदान)'' होगा। इस स्कीम के अंतर्गत नाटक मंडलियों, रंगमंच समूहों, संगीत कलाकार मंडलियों, बाल रंगमंच और सभी मंचकला कार्यकलापों को सभी शैलियों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
अनुदान के लिए पात्रता एवं मानदण्ड
- गुरु-शिष्य परंपरा के संवर्धन हेतु वित्तीय सहायता (रेपर्टरी अनुदान) प्राप्त करने वाली नाटक मंडलियों से यह अपेक्षा की जाती है कि उनके पास पर्याप्त संख्या में और गुणवत्ता परक रंगपटल मौजूद हों और वे अखिल भारतीय स्तर पर प्रदर्शन कर रही हों।
- वे अनुदानग्राही जो गुरु-शिष्य परंपरा के संवर्धन हेतु वित्तीय सहायता (रेपर्टरी अनुदान) प्राप्त कर रहे हैं, उनके लिए गुरु-शिष्य परंपरा के संवर्धन हेतु वित्तीय सहायता (रेपर्टरी अनुदान) के नवीकरण की सिफारिश तभी की जाएगी, जब वित्त वर्ष के दौरान के कम से कम दो प्रस्तुतियों का मंचन करें। इन दोनों में से कम से कम एक प्रस्तुति नई अर्थात जो पहले मंचित न की गई हो, होनी चाहिए।
- गुरु-शिष्य परंपरा के संवर्धन हेतु वित्तीय सहायता (रेपर्टरी अनुदान) की समीक्षा इस उद्देश्य के लिए गठित विशेषज्ञ समिति द्वारा वार्षिक रूप से की जाएगी।
- संगठन एक वित्तीय वर्ष में केवल एक ही अनुदान के लिए पात्र होंगे।
- गुरु-शिष्य परंपरा के संवर्धन हेतु वित्तीय सहायता (रेपर्टरी अनुदान) को जारी रखने के लिए प्रत्येक चार वर्ष बाद वास्तविक सत्यापन आवश्यक होगा।
- Financial Assistance for Promotion of Guru-Shishya parampara (Repertory Grant) will be disbursed in one installment on fulfilment of the following conditions at the time of proposal for renewal of grant :
- गुरु-शिष्य परंपरा के संवर्धन हेतु वित्तीय सहायता (रेपर्टरी अनुदान) का संवितरण, अनुदान का नवीकरण करने हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत करते समय निम्नलिखित शर्तों को पूरा करने पर एक किस्त में जाएगा :- जिन संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान की गई है, वे अपने आसपास के किसी भी स्कूल में कम से कम 02 सांस्कृतिक कार्यकलाप (समारोह, व्याख्यान, सेमिनार, कार्यशाला, प्रदर्शनी आदि) अनिवार्य रूप से आयोजित करेंगे। अनुदान के नवीकरण और उसे जारी करने के लिए स्कूल के प्रधानाचार्य से इस आशय का एक प्रमाण पत्र अनिवार्य रूप से अपेक्षित होगा।
- गुरु-शिष्य परंपरा के संवर्धन हेतु वित्तीय सहायता (रेपर्टरी अनुदान) प्राप्त कर रहे संगठनों द्वारा अपने निर्माण/कार्यक्रम/संगोष्ठी आदि के वीडियो यू ट्यूब पर अपलोड करने अपेक्षित होंगे तथा उन्हें संस्कृति मंत्रालय के यू ट्यूब/फेसबुक/ट्विटर पेज तक पहुंचने का लिंक प्रदान करना होगा और यह गुरु-शिष्य परंपरा के संवर्धन हेतु वित्तीय सहायता (रेपर्टरी अनुदान) के नवीकरण के लिए पूर्वापेक्षित शर्त है तथा उनके द्वारा अपलोड किये गए वीडियो/सामग्री पर आम जनता से प्राप्त टिप्पणियों को भी गुरु-शिष्य परंपरा के संवर्धन हेतु वित्तीय सहायता (रेपर्टरी अनुदान) के नवीकरण के लिए ध्यान में रखा जाएगा।
इस स्कीम के अंतर्गत आवेदन आमंत्रित करने के लिए विज्ञापन
- राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली और संस्कृति मंत्रालय की वेबसाइट पर प्रति वर्ष विज्ञापन दिया जाएगा। संगठन विज्ञापन की अंतिम तिथि से पहले आगामी वित्तीय वर्ष के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिसका मूल्यांकन इस उद्देश्य के लिए गठित विशेषज्ञ समिति द्वारा आवधिक आधार पर किया जाएगा। आवेदन-पत्र विधिवत रूप से संबंधित राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन या राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी), कलाक्षेत्र फाउंडेशन, सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्ष्ाण केन्द्र (सीसीआरटी), इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आइजीएनसीए), क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्रों (जेडसीसी) और समान महत्ता के निकायों सहित किसी भी राज्य अकादमी या राष्ट्रीय अकादमी इसी प्रकार के निकायों से संस्तुत होना चाहिए।
- नीचे पैरा 6 में यथा विनिर्दिष्ट दस्तावेज, आवेदन पत्र के साथ अवश्य संलग्न किए जाने चाहिए। इन दस्तावेजों के बिना प्रस्तुत आवेदनों को अस्वीकार कर दिया जाएगा।
- संस्कृति मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय नाटय विद्यालय (एनएसडी) प्रति वर्ष एनएसडी/मंत्रालय की वेबसाइटों https://nsd.gov.in/delhi/ के माध्यम से 'स्कीम' को अधिसूचित करेगा।
- 'स्कीम संबंधी दिशा-निर्देशों' के पैरा 6 में उल्लिखित आवश्यक दस्तावेजों के साथ विहित प्रपत्र में आवेदन ‘'निदेशक, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, बहावलपुर हाउस, प्लॉट न.1, भगवान दास रोड, नई दिल्ली-110001 को भेजें (आवेदक संगठनों द्वारा राष्ट्रीय नाटय विद्यालय को प्रस्तुत आवेदन पत्र में किसी प्रकार की कमी की जानकारी सीधे निदेशक, एनएसडी को प्रस्तुत की जाए)
चयन की पद्धति
- गुरु-शिष्य परंपरा के संवर्धन हेतु वित्तीय सहायता (रेपर्टरी अनुदान) पर इस उद्देश्य के लिए गठित विशेषज्ञ समिति द्वारा विचार और सिफारिश की जाएगी। विशेषज्ञ समिति का गठन मंत्रालय द्वारा अनुमोदित किया जाएगा। विशेषज्ञ समिति अपनी सिफारिशों के लिए मामला दर मामला आधार पर औचित्य बताएगी।
- विशेषज्ञ समिति द्वारा आवेदनों की जांच आवधिक रूप से निधियों की उपलब्धता और अनुदान के लिए आवेदनों के अध्यधीन की जाएगी।
- नए संगठनों के लिए गुरु-शिष्य परंपरा के संवर्धन हेतु वित्तीय सहायता (रेपर्टरी अनुदान) आरंभिक तौर पर एक गुरू और दो कलाकारों के लिए हो सकती है जिसे बढ़ाकर क्रमश: एक गुरू और अठारह कलाकारों तक किया जा सकता है। तथापि, किसी भी समय यह वृद्धि मौजूदा संख्या के 100 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए और नृत्य एवं संगीत के लिए यह एक गुरू और दस कलाकारों से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- बजटीय बाध्यताओं को ध्यान में रखते हुए और नए कलाकार समूहों/संगठनों को अवसर प्रदान करने के लिए, गुरु-शिष्य परंपरा के संवर्धन हेतु वित्तीय सहायता (रेपर्टरी अनुदान) प्राप्त करने वाले मौजूदा संगठनों के 10 प्रतिशत संगठनों को प्रत्येक वर्ष हटा दिया जाएगा। हटाए जाने के लिए मानदण्ड, विगत प्रस्तुति, प्रतिष्ठा, कार्य की कला (दुर्लभ/पारम्परिक/प्रायोगिक/अभिनव/ मौलिक/विलुप्तप्राय कला रूप आदि) हो सकते हैं।
- गुरु-शिष्य परंपरा के संवर्धन हेतु वित्तीय सहायता (रेपर्टरी अनुदान) के नवीकरण प्रस्तावों के लिए व्यक्तिगत रूप से बातचीत होगी।
अनुदान की राशि
प्रत्येक गुरू/निदेशक के लिए वित्तीय सहायता 15,000/- रूपये (पंद्रह हजार रूपये) प्रति माह की दर पर प्रदान की जाएगी जबकि प्रत्येक शिष्य/कलाकार के संबंध में सहायता निम्नानुसार होगी:-
शिष्य / कलाकार की श्रेणी आयु समूह सहायता/मानदेय की प्रतिमाह राशि (a) वयस्क शिष्य /कलाकार (18 वर्ष और इससे अधिक आयु) 10000/- रूपये (दस हजार रूपये मात्र) (b) 'क' श्रेणी बाल शिष्य/कलाकार (12- < 18 वर्ष तक की आयु) 7,500/- रूपये (साढ़े सात हजार रूपये मात्र) (c) 'ख' श्रेणी बाल शिष्य/कलाकार (6- < 12 वर्ष तक की आयु) 3,500/- रूपये (तीन हजार पांच सौ रूपये मात्र) (d) 'ग' श्रेणी बाल शिष्य/कलाकार (3- < 6 वर्ष तक की आयु) 2000/- रूपये (दो हजार रूपये मात्र)
- इस अनुदान के अंतर्गत व्यय स्कीम के तहत आंवटित परिव्यय तक सीमित रहेगा।
- नोट: प्रचलित पद्धति के अनुसार, आवेदक संगठनों को भुगतान केवल इलेक्ट्रॉनिक पद्धति/आरटीजीएस के माध्यम से ही किया जाएगा।
आवेदन के साथ प्रस्तुत किए जाने वाले दस्तावेज़
- संगठन के गत वर्ष के कार्यकलापों के संबंध में प्रेस समीक्षा, प्रेस विज्ञापनों, स्मारिका टिकट की प्रतियों आदि सहित आवेदक संगठन का संक्षिप्त परिचय।
- पंजीकरण प्रमाण-पत्र और संगम ज्ञापन/विलेख, उपनियमों की प्रति।
- एनजीओ-पीएस (दर्पण पोर्टल) से प्राप्त, संगठन की विशिष्ट पहचान (आईडी) संख्या की प्रति।
- आयकर विभाग द्वारा जारी स्थायी खाता संख्या (पैन) की प्रति।
- निर्धारित प्रारूप में विधिवत भरा गया संकल्प (मूल में)।
- निर्धारित प्रारूप में विधिवत भरा गया क्षतिपूर्ति बंध पत्र (मूल में) जिसके प्रत्येक पृष्ठ पर अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता सहित दो गवाहों के नाम और दी गई जगह पर पूरे पते सहित हस्ताक्षर के साथ संगठन की मुहर सहित हस्ताक्षर किये गए हों।
- संगठन की वार्षिक कार्य योजना (साक्ष्य सहित) जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित का उल्लेख किया गया हो:-
- संगठन द्वारा अपने आस-पास के किसी विद्यालय में कम से कम दो सांस्कृतिक कार्यकलापों /(समारोह, भाषण, संगोष्ठी, कार्यशाला, प्रदर्शनी आदि) के आयोजन का ब्यौरा। अनुदान के नवीकरण और जारी होने के लिए उस विद्यालय के प्रधानाचार्य की ओर से जारी तत्संबंधी प्रमाण-पत्र आवश्यक रूप से संलग्न किया जाना चाहिए।
- मंचित की जाने वाली कम से कम दो प्रस्तुतियों के वार्षिक कार्यक्रम से संबंधित विवरण [150 से कम टंकित शब्दों में (इन दोनों में से कम से कम एक प्रस्तुति नई होनी चाहिए अर्थात् जिसका मंचन पहले न किया गया हो)] जिसके साथ मदवार विवरण यथा पूर्वाभ्यासों, परिधानों, परिवहन, शोध, पटकथा लेखन, मंचन आदि की लागत दर्शाते हुए उनकी अनुमानित लागत भी सम्मिलित की जाए; और
- प्रस्तुति/समारोह/संगोष्ठी आदि के अपलोड किये गए वीडियो/सामग्री पर आम जनता से प्राप्त टिप्पणियों की हार्डकापी [इसे भी अनुदान के नवीकरण हेतु ध्यान मे रखा जाएगा] सहित, यू ट्यूब पर अपनी प्रस्तुति/समारोह/संगोष्ठी आदि की वीडियो अपलोड करने का प्रमाण और संस्कृति मंत्रालय के यू ट्यूब/फेसबुक/टि्वटर पेज का लिंक प्रदान करना (यह गुरु-शिष्य परंपरा के संवर्धन हेतु वित्तीय सहायता (रेपर्टरी अनुदान) के नवीकरण के लिए पूर्वापेक्षित शर्त रहेगी)।
- जिस संगठन के लिए वित्तीय सहायता मांगी गई है, उससे जुड़े गुरू/निदेशक और शिष्य/कलाकार से संबंधित बैंक खाता विवरण के साथ संपूर्ण ब्यौरा संगठन में त्यागपत्र देने/कार्यभार ग्रहण करने के कारण मौजूदा गुरु-शिष्य में किसी भी बदलाव की स्थिति में, उनके संबंधित बैंक खाता विवरण के साथ गुरु-शिष्य के संबंध में संशोधित ब्यौरे निर्धारित प्रपत्र में ऐसे परिवर्तन के पश्चात तत्काल रूप से मंत्रालय को संसूचित किए जाएं।
- नए गुरु-शिष्य परंपरा के संवर्धन हेतु वित्तीय सहायता (रेपर्टरी अनुदान) या गुरु-शिष्य परंपरा के संवर्धन हेतु वित्तीय सहायता (रेपर्टरी अनुदान) के नवीकरण या गुरु-शिष्य परंपरा के संवर्धन हेतु वित्तीय सहायता (रेपर्टरी अनुदान) में वृद्धि के रूप में वित्तीय सहायता मांगने का औचित्य।
- संगठन के सभी कार्यकलाप कवर करते हुए और प्राप्ति एवं भुगतान तथा आय एवं व्यय आदि के स्रोत एवं प्रतिमान सहित लेखाओं के विगत तीन वर्ष के सम्परीक्षित विवरण।
- विगत तीन वर्ष के आय कर आकलन आदेश।
- लेखापरीक्षक के प्रमाण पत्र सहित विगत तीन वर्ष के तुलन पत्र।
- संगठन द्वारा प्राप्त किए गए अंतिम अनुदान के संबंध में निर्धारित प्रपत्र (अर्थात फार्म जीएफआर 12क) में उपयोगिता प्रमाण पत्र (मूल रूप में) और चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) द्वारा अपने लैटर हेड (लैटर हेड पर सीए की सदस्यता संख्या अंकित होनी चाहिए) पर जारी की गई रसीदें ओर भुगतान विवरण (मूल रूप से) जिसे अनुदानग्राही संगठन के प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता द्वारा मोहर के साथ प्रतिहस्ताक्षरित किया गया हो।
- गत वर्ष की प्रस्तुतियों की प्रेस समीक्षाएं, प्रेस विज्ञापन, टिकट आदि की स्मारिका प्रतियां।
- इस तथ्य का दस्तावेजी साक्ष्य कि अनुदान प्राप्तकर्ता संगठन ने प्रत्येक वैयक्तिक लाभार्थी (अर्थात् गुरू एवं शिष्य/कलाकार जैसे प्रत्येक लाभार्थी की बैंक स्टेटमेंट की प्रति) (यह गुरु-शिष्य परंपरा के संवर्धन हेतु वित्तीय सहायता (रेपर्टरी अनुदान) के नवीकरण की अनिवार्य शर्त है) के बैंक खाते में इलेक्ट्रानिक रूप से प्राप्त गत वर्ष का अनुदान के रोकड़ घटक अंतरित किये हैं।
- विधिवत् भरा हुआ और हस्ताक्षरित निर्धारित बैंक प्रपत्र/प्राधिकार पत्र (मूल में) जो संबंधित बैंक के प्रबंधक द्वारा सत्यापित और हस्ताक्षरित हो।
- आवेदन फार्म के साथ संलग्न विधिवत भरी गई चैक-लिस्ट (जांच-सूची)।
- आवेदन पर संबंधित राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र के प्रशासनों या किसी भी राज्य अकादेमी या राष्ट्रीय नाटय विद्यालय (एनएसडी), कलाक्षेत्र प्रतिष्ठान, सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र (सीसीआरटी), इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए), क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्रों और सदृश महत्व के निकायों सहित राष्ट्रीय अकादेमियों द्वारा विधिवत् संस्तुति की जानी चाहिए। इस संबंध में निर्धारित प्रपत्र में प्राप्त संस्तुति पत्र (मूल में) आवेदन फार्म के साथ संलग्न किया जाना चाहिए।
- पद्म पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं को संबंधित राज्य सरकारों/संघ राज्यक्षेत्र प्रशासनों या किसी भी राज्य अकादेमी या राष्ट्रीय अकादेमी जिसमें राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, कला क्षेत्र फाउंडेशन, सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र (सीसीआरटी), इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए), क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र और सदृश प्रकृति के निकाय शामिल हैं, से संस्तुति प्राप्त करने की छूट होगी।
- आवेदन मौजूदा स्कीम के दिशा निदेशों के अनुसार हर तरह से पूर्ण होने चाहिए। यदि कोई त्रुटि/कमी पाई जाती है, तो उन पर विचार नहीं किया जाएगा। इस संबंध में एनएसडी/संस्कृति मंत्रालय का निर्णय अंतिम होगा।
स्कीम का मूल्यांकन और निगरानी
संस्कृति मंत्रालय, गुरु-शिष्य परंपरा के संवर्धन हेतु वित्तीय सहायता (रेपर्टरी अनुदान) के संबंध में, जैसा भी आवश्यक समझे आवधिक आधार पर, आवधिक निरीक्षणों, फील्ड दौरों आदि के माध्यम से अनुदानग्राहियों का मूल्यांकन करेगा। जहां तक गुरु-शिष्य परंपरा के संवर्धन हेतु वित्तीय सहायता (रेपर्टरी अनुदान) के नए मामलों का संबंध है, प्रत्येक मामले में अनुमोदित अनुदान मंत्रालय द्वारा यथानिर्धारित संगठनों के वास्तविक सत्यापन के पश्चात ही जारी किया जाएगा। इसके अलावा, कम से कम 5-10 प्रतिशत नए संस्तुत प्रस्तावों/मामलों का वास्तविक निरीक्षण/सत्यापन संस्कृति मंत्रालय के संबंधित अधिकारियों द्वारा किया जाएगा।